ऐसा था पाक... घर से गए लोग लौट न आएं तब तक होती थी चिंता, 1950 के बाद भारत आए लोागें की दर्द भरी दास्तां
पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान आए सिंधियों को भारीय नागरिकता मिलने पर उनके परिवारों में जश्न का माहौल है। लेकिन आज भी जब उन्हें पाकिस्तान की याद आती है तो दुख भरी दास्तान बयां होने लगती है कि, किस तरह पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि भोपालCreated On: 4 March 2019 9:45 AM GMT
सतंनगर। पाकिस्तान छोड़कर हिंदुस्तान आए सिंधियों को भारीय नागरिकता मिलने पर उनके परिवारों में जश्न का माहौल है। लेकिन आज भी जब उन्हें पाकिस्तान की याद आती है तो दुख भरी दास्तान बयां होने लगती है कि, किस तरह पाकिस्तान में उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता था।
घर का कोई सदस्य जब बाहर जाता था तो उसके लौटने तक यही चिंता रहती थी कि वो सही सलामत वापस लौटेगा कि नहीं। भगवान का शुक्र है कि हम पाकिस्तान छोड़कर भारत आ गए और अब तो उन्हें यहां की नागरिकता भी मिल गई है। यह उनके लिए बहुत खुशी की बात है।
शुरू में यहां के लोग भी मानते थे पाकिस्तानी, अब ऐसा नहीं
लोग बताते हैं कि पाकिस्तान में प्रतिदिन सांस लेना भी मुश्किल होता जा रहा था। बड़ी मुश्किलों का सामना करने के बाद हमने इंडिया आने का फैसला किया। इसमें भी कई अड़चनें भी आई लेकिन हमने यहां आने की ठान ही ली थी, क्योंकि हमें पता था कि पाक में हमारा भविष्य सुरक्षित नहीं है।
इसके बाद चरणबद्ध तरीके से भारत आना शुरू किया, लेकिन यहां भी नागरिकता न मिलने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हमें यहां के लोग पाकिस्तानी मानकर चलते थे। कभी कभी तो आंखों से आंसू आ जाते थे लेकिन हमने सब्र नहीं छोड़ा और भारतीय नागरिकता लेने के लिए संघर्ष करते रहे और अब जाकर इसमें सफलता मिली है।
मिलती थी धमकी
पाकिस्तान में स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं करते थे। हमेशा डर बना रहता था। बाजार में रंगदारी का सामना करना पड़ता था और शिकायत करने पर हम पर ही कार्रवाई करने की धमकी मिलती थी। - डेवनदास कटारे
सुनवाई नहीं होती थी
घर के सदस्य काम पर निकले तो सही सलामत वापस लौटेंगे या नहीं हमेशा यही डर लगा रहता था। कुछ मिलने वाले लोगों की हत्या कर दी गई थी, कानून में कोई सुनवाई नहीं करता था। - सावित्री देवी
जब बच्चे घर से जाते थे तो पता नहीं हाता था कि वे सुरक्षित घर वापस आएंगे कि नहीं। स्कूल कॉलेज में भी कुछ ऐसा ही माहौल था। वहां पर भी हिंदु लोगों को तरह-तरह से परेशान किया जाता था। हर बात से दोयम तरीके का व्यवहार किया जाता था। - अर्जुनदास
पाक में ऐसा प्रतीत होता था कि हम वहां के नागरिक ही नहीं है। अक्सर यह सूचनाएं मिलती रहती थी कि हिंदुओं पर हमला किया गया है। आस-पड़ोस में भी माहौल सहीं नहीं था। हमें तो बस अपने बच्चों की चिंता लगी रहती थी कि उनका समय सही, निकले लेकिन बर्दाश्त की हद हो चुकी थी। - खिमयादेवी
धर्म की मार के साथ हमेशा बना रहता था लूटपाट का डर
मालूम हो कि भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद 1950 तक तो अधिकांश सिंधी हिंदु परिवार भारत आकर बस गए थे। उन्हें उसी समय भारतीय नागरिकता मिल गई थी। लेकिन इसके बाद भी वहां से लोग भारत आते रहे। उन्हें अब जाकर भारतीय नागरिकता मिली है। जो लोग पाक से आकर यहां बसे हैं उन सभी दुख भरी दास्तान है।
वे कहते हैं कि, पाकिस्तान में एक तरफ धर्म परिवर्तन की मार थी तो दूसरी तरफ प्रॉपर्टी भी सुरक्षित नहीं थी। हर समय दंगे और हमले का डर रहता था। हमने वहां के लोगों से व्यवहार बनाने की प्रयास किया, लेकिन हिंदु मानकर सभी उनकी उपेक्षा करते थे। वहीं वहां की सरकार भी उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करती थी।
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