मध्य प्रदेश / 52 साल बाद आज होगा विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव, दिग्वजय का आरोप भाजपा दे रही लालच
मध्यप्रदेश की पंद्रहवीं विधानसभा में पहले दिन से ही सत्ता पक्ष कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के बीच टकराव की परिस्थितियां बनीं हुई हैं। वहीं विधानसभा अध्यक्ष के लिए आमतौर पर निर्विरोध चुनाव की परंपरा टूटती नजर आ रही है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार पहला शक्ति परीक्षण आज स्पीकर के चुनाव में होगा।

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टीम डिजिटल /हरिभूमि भोपालCreated On: 8 Jan 2019 11:03 AM GMT
मध्यप्रदेश की पंद्रहवीं विधानसभा में पहले दिन से ही सत्ता पक्ष कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के बीच टकराव की परिस्थितियां बनीं हुई हैं। वहीं विधानसभा अध्यक्ष के लिए आमतौर पर निर्विरोध चुनाव की परंपरा टूटती नजर आ रही है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार पहला शक्ति परीक्षण आज स्पीकर के चुनाव में होगा।
सोमवार को कांग्रेस ने चौथी बार विधायक चुने गए एनपी प्रजापति को मैदान उतारा। वहीं भाजपा से सातवीं बार विधायक बने आदिवासी समाज के प्रतिनिधि विजय शाह से नामांकन पर्चा दाखिल कराया।
बता दें प्रदेश में 52 साल पहले 1967 में स्पीकर के लिए वोटिंग हुई थी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी ने हमारे विधायकों को 100-100 करोड़ रुपए का ऑफर देकर भाजपा के पक्ष वोटिंग करने का लालच दिया है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि हमारी सरकार पूर्ण बहुमत से आई है। सदन में अध्यक्ष के चुनाव में भी हम यह सिद्ध करके दिखाएंगे। प्रोटेम स्पीकर के चयन में संसदीय परंपरा तोड़ने से भाजपा के आरोप पर उन्होंने कहा मुझे संसदीय परंपराओं के बारे में ज्ञान न दें। मैं स्वयं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर रह चुका हूं।
सिर्फ दो बार आए चुनाव के मौके
आखिरी बार अध्यक्ष पद के लिए मतदान 24 मार्च 1967 में हुआ था। जिसमें काशी प्रसाद पांडे जीते थे। इसके पहले 27 मार्च 1962 को कुंजीलाल दुबे के सामने रामेश्वर अग्निभोज चुनाव मैदान में थे। उस समय दुबे को 187 और अग्निभोज को 91 वोट मिले थे।
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