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मध्यप्रदेश समाचार: जिस स्कॉडा सिस्टम से बूंद-बूंद पानी का हिसाब रखा जा सकता है वह 6 महीने से सिर्फ फाइलों में ही दफन

राजधानी में लगातार हो रही पानी की बर्बादी को रोकने के लिए स्कॉडा सिस्टम लागू किया जाना था। लेनिक 6 महीने गुजरने के बाद भी इसे लेकर कोई ठोस काम नहीं किया जा सका।

मध्यप्रदेश समाचार: जिस स्कॉडा सिस्टम से बूंद-बूंद पानी का हिसाब रखा जा सकता है वह 6 महीने से सिर्फ फाइलों में ही दफन
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आकाशदीप मिश्रा, भोपाल। राजधानी में लगातार हो रही पानी की बर्बादी को रोकने के लिए स्कॉडा सिस्टम लागू किया जाना था। लेनिक 6 महीने गुजरने के बाद भी इसे लेकर कोई ठोस काम नहीं किया जा सका।
ऐसा लगता है कि, गर्मियों तक भी यह सिस्टम नहीं लगाया जा सकेगा। बता दें कि, स्कॉडा का लेकर निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी के अलग-अलग तथ्य हैं। निगम अफसरों का कहना है कि, स्कॉडा लगाने की जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी की है। इसमें निगम का कोई रोल नहीं है। वहीं भोपाल स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने बातया कि, हमने सर्वे कर फाइल निगम को सौंप दी है।
जैसे ही निगम हमारे पास फाइल भेजता है इसे लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि निगम और स्मार्ट सिटी कंपनी के अलग अलग तथ्यों के बीच राजधानीवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जानें क्या है स्कॉडा सिस्टम
इस सिस्टम से वाटर डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क की 134 टंकियों को जोड़ा जाएगा। टंकियों के भरने और यहां से पानी सप्लाई की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी। इसकी पूरी जानकारी स्मार्ट सिटी के कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से इंटीग्रेटेड रहेगी। साथ ही वाटर सप्लाई का एक अलग से कंट्रोल सेंटर भी बनाया जाना ​था। जहां से वॉल्व खोले और बंद किए जा सकेंगे। बूंद बूंद पानी की निगरानी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से ही शुरू हो जाएगी। सप्लाई किया गया 100 फीसदी पानी कहां और कब गया, इसकी जानकारी सेंटराइज्ड कमांड सेंटर को होगा।
ऐसे होगी मॉनीटरिंग
सेंसर व जीआईएस इंटीग्रेटेड सुपरवाइजरी से पानी सप्लाई पर निगरानी रखी जाएगी। यही व्यवस्था वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की सप्लाई में भी होगी। भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के भोपाल सिटी वाटर यूटीलिटी मैनेजमेंट सिस्टम के तहत होगी। इसे स्मार्ट सिटी के पेन सिटी मॉडल में शामिल किया जाना था।
और क्या नया होगा...?
  • पानी के प्रेशर और लाइन में फ्लो की जानकारी मिलेगी।
  • टंकियों में पानी के स्तर का रियल टाइम स्टेटस मिलेगा।
  • मुख्य लाइन में लीकेज जानकारी खुद मिलेगी।
  • पानी बर्बादी की जानकारी सामने होगी।
  • ट्रीटमेंट प्लांट ऑपरेशन का ब्यौरा सामने होगा।
  • पाइप लाइन में लीकेज के कारण प्रेशर कम ​होने की जानकारी मिलेगी।
  • हर साल का पानी सप्लाई का डाटा भी सामने होगा।
पानी चोरी का भी पता चलेगा और गुणवत्ता सुधरेगी
स्कॉडा से पानी चोरी करने वालों या पाइप लाइन फोड़कर लीकेज करने वालों की जानकारी भी कंट्रोल रूम को मल जाएगी। पूरी व्यवस्था ऑटोमेटिक होगी। कंट्रोल रूप से ही वॉल्व ऑपरेट होंगे। हालांकि विकल्प के रूप में वॉल्वमेन की व्यवस्था रहेगी। वॉल खोलने और बंद करने का ब्यौरा भी अधिकारियों के सामने होगा। इससे समय पर पानी सप्लाई नहीं होने की शिकायत भी दूर हो जाएगी।
जिम्मेदार स्मार्ट सिटी कंपनी की
स्कॉडा सिस्टम की पूरी जिम्मेदारी भोपाल स्मार्ट सिटी कंपनी की है। टैक्निकली निगम का इसमें कोई रोल नहीं है। - एआर पवार, सिटी इंजीनियर, वाटर वर्कर

निगम के पास भेजी फाइनल
स्कॉडा सिस्टम लागू करने को लेकर स्मार्ट सिटी ने अपना सर्वे पूरा कर लिया हैं इसकी फाइल हमने ननि को सबमिट कर दी है। जैसी ही यह फाइल हमारे पास आएगी, काम शुरू कर देंगे। - रामजी अवस्थी, प्रोजेक्ट इंजीनियर, भोपाल स्मार्ट सिटी

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