युवाओं की बजट पर प्रतिक्रिया, शुक्रवार को सबसे बड़ा इवेंट साबित हुआ बजट, घोषणाओं पर बजती रही तालियां, नजर नहीं हटी टेलीविजन से
एक फरवरी, मोदी सरकार का अंतरिम बजट या चुनावी बजट या फिर जनता का बजट। नाम कुछ भी हो, लेकिन शुक्रवार को यह देश का सबसे बड़ा इवेंट साबित हुआ। घोषणाएं होती रही तालियां बजती रही। हर किसी की निगाह सिर्फ टेलीविजन पर टिकी हुई थी।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि भोपालCreated On: 2 Feb 2019 12:50 PM GMT Last Updated On: 2 Feb 2019 12:50 PM GMT
भोपाल। एक फरवरी, मोदी सरकार का अंतरिम बजट या चुनावी बजट या फिर जनता का बजट। नाम कुछ भी हो, लेकिन शुक्रवार को यह देश का सबसे बड़ा इवेंट साबित हुआ। घोषणाएं होती रही तालियां बजती रही। हर किसी की निगाह सिर्फ टेलीविजन पर टिकी हुई थी।
बजट को लेकर हरिभूमि की टीम ने बरकतउल्ला में पढ़ने वाले और वॉयस हॉस्टल में रहने वाले युवाओं से बात की। उन्होंने कहा यह बजट पूरा भी है और अधूरा भी। जो उम्मीदें युवाओं ने लगाई थी, उन पर मोदी सरकार खरी नहीं उतर सकी।
बेरोजगारों के लिए कोई खास नहीं
छात्र आसिफ इकबाल का कहना है कि यह बजट बेरोजगारों के लिए कोई खास नहीं रहा। युवाओं ने इस बजट में रोजगार के विकल्प तलाशे थे, लेकिन हाथ कुछ नहीं आया है। युवाओं को उम्मीद थी कि सरकार युवाओं को रोजगार देने में कोई ठोस कदम उठाएगी।
रोजगार के संसाधन उपलब्ध करवाने की दिशा में उठाने चाहिए कदम
छात्रा साक्षी मिश्रा का कहना है कि आज देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। केंद्र सरकार को युवाओं के लिए रोजगार के संसाधन उपलब्ध करवाने की दिशा में कदम उठाने चाहिए थे। वहीं, युवतियों की बात करें तो नगदी निकासी के लिए छूट दी जानी चाहिए थी। क्योंकि, मौजूदा समय में बहुत सी महिलाएं ज्यादा शिक्षित नहीं है।
युवाओं को निराश किया
छात्र गौरव पटेल का कहना है कि मेरे पिता किसान है। सरकार ने कृषि क्षेत्र में तो काम किया है, लेकिन युवाओं को निराश किया है। युवाओं ने सरकार से उम्मीद लगाई थी कि छात्रावास व्यवस्था दुरुस्त होगी। शिक्षा स्तर को सशक्त बनाया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
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