पटना से दो साल पहले गोद लिए बच्चे को दागा गर्म सरिए से, बिना कपड़ों के भटकता मिला लावारिस, मां-बाप पर FIR दर्ज
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से बड़ा मामला सामने आया है जहां एक दंपत्ति ने दो साल पहले गोद लिए बच्चे को इतना प्रताड़ित किया कि वह घर से भागने पर मजबूर हो गया।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से बड़ा मामला सामने आया है जहां एक दंपत्ति ने दो साल पहले गोद लिए बच्चे को इतना प्रताड़ित किया कि वह घर से भागने पर मजबूर हो गया। दो दिन से बालक अपने घर से गायब था, लेकिन उसके अभिभावक ने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी थी। बच्चे के शरीर पर गर्म सरिए से दागने के निशान भी मिले हें।
बता दें कि चाइल्ड लाइन को 30 जून को एक व्यक्ति ने फोन कर शिकायत की थी कि शाहपुरा थाना क्षेत्र में 10 वर्ष का बालक बिना कपड़ों के लावारिस भटक रहा है। बच्चे को उसके अभिभावक ने पीटाई के बाद बाहर निकाल दिया है। लेकिन बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के तीनों सदस्यों के एकमत न होने के कारण अभिभावकों पर बमुश्किल पांच दिन बाद एफआईआर दर्ज हो पाई। इसमें समिति के दो सदस्य कृपाशंकर चौबे, निवेदिता शर्मा एफआईआर कराने पर सहमति दी। जबकि एक सदस्य राजीव जैन एफआईआर के पक्ष में नहीं थे। जिसके बाद चाइल्ड लाइन ने बच्चे को रेस्क्यू कर समिति के सामने पेश किया और उसे एसओएस बालग्राम भेज दिया गया।
दो साल पहले पटना से लिया गोद
दो साल पहले शाहपुरा थाना क्षेत्र में रहने वाले 50 वर्षीय दंपती ने पटना की एक संस्था से 8 साल के बच्चे को गोद लिया था। आरोप है कि इसके बाद वे उसे तरह.तरह से प्रताड़ित कर रहे थे। दो दिन से बच्चा घर से गायब था लेकिन उसके अभिभावकों ने इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी।
शरीर पर गर्म सरिया से दागने के निशान
बच्चे के शरीर पर गर्म सरिया से दागने के निशान भी मिले हैं। वहीं इस बारे में दंपति का कहना है कि वे बच्चे से छोटा.मोटा काम करवाते थे, लेकिन उसे पीटते नहीं थे। ऐसे में समिति के तीन में से दो सदस्यों का मानना था कि एफआईआर होनी चाहिए, क्योंकि अभिभावक मारपीट करते थे।
समिति के तीन में से दो सदस्यों का मानना है कि एफआईआर होनी चाहिएए क्योंकि अभिभावक मारपीट करते थे। वहीं समिति के एक सदस्य का मत है कि एफआईआर नहीं होना चाहिए, क्योंकि बच्चे को अभिभावक रखना चाहते हैं।
घर का पूरा काम करवाया जाता
काउंसिलिंग में दंपति ने बताया कि बच्चा बहुत बिगड़ा हुआ है। वह पढ़ाई नहीं करता है और बदतमीजी भी करता है। जबकि बच्चे ने बताया कि उससे घर के सारे काम कराए जाते हैं। उसे घर का शौचालय तक इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता है। दंपति का कहना है कि जिस बच्चे को पटना में दिखाया गया था संस्था ने वह बच्चा गोद नहीं दिया।
गोद लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं की
अभिभावकों ने कानूनी तरीके से गोद लेने की प्रक्रियापूरी नहीं की गई है। अगर उन्हें बच्चा नहीं पसंद था तो उन्हें गोद ही नहीं लेना था। इस मामले में अभिभावक संदेह के घेरे में हैं इसलिए एफआईआर जरूरी थी। -निवेदिता शर्मा, सदस्य समिति
बच्चे का हित सबसे ऊपर
समिति के एक सदस्य बच्चे की बात सुन नहीं रहे हैं, बल्कि अभिभावकों के पक्ष में हैं। समिति और चाइल्ड लाइन बच्चों के हित में काम करती है। इस मामले में अभिभावक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। - अर्चना सहाय, डायरेक्टर, चाइल्ड लाइन
मामला दर्ज कर लिया
समिति के एक सदस्य राजीव जैन इस मामले में एफआईआर कराने से इंकार कर रहे थे। उनका कहना था कि बालक की गलती है लेकिन फिर भी चाइल्ड लाइन की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है। -चैन सिंह रधुवंशी, टीआई, शाहपुरा थाना
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