मध्य प्रदेश समाचार - आदिवासियों के लोक पर्व भगोरिया का आगाज, पहले दिन से ही मेले में दिखी रौनक
लोक संस्कृति के उत्सव भगोरिया का आगाज हो गया है। पहले दिन झाबुआ-आलीराजपुर जिले में आठ स्थानों पर भगोरिया हाट लगे। पहले दिन बड़ी संख्या में आदिवासी समूह के लोगों ने भाग लिया। झाबुआ के पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई, चेनपुरा केे अलावा आलीराजपुर के फूलमाल, सोंडवा, जोबट और राणापुर क समोई में भगोरिया हाट भराए।

झाबुआ. लोक संस्कृति के उत्सव भगोरिया का आगाज हो गया है। पहले दिन झाबुआ-आलीराजपुर जिले में आठ स्थानों पर भगोरिया हाट लगे। पहले दिन बड़ी संख्या में आदिवासी समूह के लोगों ने भाग लिया। झाबुआ के पारा, हरिनगर, सारंगी, समोई, चेनपुरा केे अलावा आलीराजपुर के फूलमाल, सोंडवा, जोबट और राणापुर क समोई में भगोरिया हाट भराए। जहां सुबह से शाम तक ढोल-मांदल की थाप और थाली की खनक पर आदिवासियों की कुर्राटी गूंजती रही। बता दें कि आदिवासी संस्कृति के भगोरिया पर्व को लेकर अलग-अलग मत हैं। कुछ लोगों के अनुसार भगोरिया एक उत्सव है जो होली का ही एक रूप है यह प्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल के आदिवासी इलाकों में धूमधाम से मनाया जाता है। होली के 1 सप्ताह पहले लगने वाले हाट-बाजार यहां मेले का रूप ले लेते हैं।
क्यों कहा जाता है भगोरिया - भगोरिया मेले को लेकर मान्यता है कि इस मौके पर युवक-युवती एक दूसरे को पान खिला दें या एक दूसरे के गाल पर गुलाल लगा दें तो मान लिया जाता है कि दोनों में प्रेम हो गया है। इसके बाद वे दोनों मौका पाकर भाग जाते हैं और विवाह बंधन में बंध जाते हैं। भाग कर शादी करने के कारण ही इस पर्व को भगोरिया पर्व कहा जाता है।
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