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महाराष्ट्र के 2 हजार परिवार मजबूरी के चलते खुले आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर, खुलेआम हो रहा नियमों का उल्लंघन

जिले में महाराष्ट्र से आये करीब 2 हजार परिवार मजबूरी में रोजी रोटी के लिये खुले आसमान में जिंदगी बिता रहे हैं। जिले की सीमा से लगी रामदेव शुगर फेक्ट्री के बाहर पन्नी की छोटे-छोटे झोपड़ी बनाकर रह रहे इन परिवारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

महाराष्ट्र के 2 हजार परिवार मजबूरी के चलते खुले आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर, खुलेआम हो रहा नियमों का उल्लंघन
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संजय दुबे, होशंगाबाद। जिले में महाराष्ट्र से आये करीब 2 हजार परिवार मजबूरी में रोजी रोटी के लिये खुले आसमान में जिंदगी बिता रहे हैं। जिले की सीमा से लगी रामदेव शुगर फेक्ट्री के बाहर पन्नी की छोटे-छोटे झोपड़ी बनाकर रह रहे इन परिवारों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश आये यह परिवार यहां 4 महीने गन्ने की फसल काटकर शुगर फेक्ट्री तक लाते हैं बदले में इन्हें एक सदस्य के 4 माह के महज 36 हजार रुपया दिए जाते हैं। रामदेव शुगर फेक्ट्री संचालक इन्हें हर साल यहां किसानों के गन्ने काटने बुलाती है।
फेक्ट्री संचालक इन मजदूर परिवारों को ठेकेदार के जरिये बुलाते हैं। इन मजदूरों को फेक्ट्री के बाहर खुले आसमान के नीचे ठिठुरती ठंड में अपने परिवार के साथ रहना पड़ता है। जहां एक और प्रदेश में ठंड पूरे शबाब पर है वहीं यह परिवार खुले आसमान के नीचे रहकर मजदूरी करने को मजबूर हैं।
हैरत की बात तो यह है कि इन्हें यहां मूलभूत सुविधाएं तक नसीब नहीं होती। खेत में कबीले बनाकर रह रहे इन परिवारों की महिलाएं दो किलो मीटर दूर से पीने का पानी लाती हैं तो वहीं गन्दे पानी में कपड़े बर्तन धोने को मजबूर हैं।
इनके परिवार में कोई अगर बीमार हो जाए तो इन्हें इलाज भी अपने पैसों से कराने शहर तक जाना पड़ता है। एक ओर जहां दूसरे शहर अगर यह अपने और परिवार का पालन पोष्ण करते हैं वहीं इनके बच्चों का भविष्य भी अंधकार में है। मासूम बच्चे तक अपने माता पिता के साथ मजदूरी करने को मजबूर हैं।
आईएनएच की टीम जब शुगर फेक्ट्री संचालकों के पास इन गरीब मजदूरों की समस्याएं बताने पहुंची तो फेक्ट्री संचालकों को इन मजदूरों की समस्यायों को बड़ा न मानते हुए अपना हाथ झाड़ लिया।
इस बारे में राम देव शुगर मिल के विवेक माहेश्वरी का कहना है कि जितना पैसा हम इनको 4 माह में देते हैं उतना इन्हें कंही ओर नहीं मिलता। हम तो सिर्फ इनके ओर किसानों के बीच माध्यम हैं।
वहीं जब हम इस पूरे मामले की जानकारी होशंगाबाद कलेक्टर को दी गई उन्होंने कहा, आपके माध्यम से मामला मेरी जानकारी में आया है, हम श्रम विभाग से इसकी जांच करवाते हैं। अगर श्रम विभाग के नियमों का उलंघन है तो कार्यवाही की जाएगी।

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