जब बाइक पर रात में निरीक्षण के लिए निकले IPS हितेश, सड़क पर लगाई क्लास

मंदसौर। आईपीएस हितेश चौधरी बाइक पर सवार होकर लोअर टीशर्ट में रविवार रात अचानक शहर के औचक निरीक्षण पर निकल गए। सिंपल ड्रेस में सड़कों पर निकले आईपीएस को हितेश को चौरहों के पॉइंट्स लगे पुलिसकर्मी तक उन्हें नहीं पहचान पाए।
आमजन के लिए सहज और महकमे में काफी सख्त रुख रखने वाले आईपीएस हितेश चौधरी ने तो पहले पूरे शहर में चौराहों का निरीक्षण किया। उसके बाद वे वापस उन्हीं चौराहों पर पहुंचे और जहां जहां उन्हें कमियां नजर वहां वहां तैनात पुलिसकर्मियों को हिदायतें दी।
आईपीएस हितेश चौधरी ने अचानक औचक निरीक्षण के बारे में बताया महकमा कैसे काम कर रहा है यह देखना जरूरी है और यह सिर्फ औचक निरीक्षण से ही पता चलता है। इस तरह के निरीक्षण से सच्चाई पता चलती है सभी चेकिंग पॉइंट्स पर प्रॉपर तरीके से काम हो रहा है या नही..? कहीं कोई लापरवाही या कोई चूक तो नहीं हो रही।
उन्होंने बताया कि पूरे शहर का निरीक्षण करने के बाद ही उन पुलिसकर्मियों को हिदायत दी है, पुलिस को हमेशा अलर्ट रहना चाहिए। सूचनाएं जुटाने के हमेशा जिज्ञासु बने रहना जरूरी है। पुलिस के लिए सूचना तंत्र का मजबूत होना बेहद जरूरी है। जिससे होने वाले अपराधों को काफी हद तक टाला जा सकता है। हर व्यक्ति को पुलिस से वे जानकारियां साझा करना चाहिए जो कानून व्यवस्था बनाए रखने में मददग़ार हो और अपराधियों ओर संदिग्धों की धरपकड़ में सहायक हो।
पुलिस विभाग के लिए है प्रेरणा स्त्रोत
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के टीकमगढ़ जिले में जतारा कस्बा क्षेत्र की बतौर एसडीओपी पोस्ट पर कमान संभालते हुए युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत बने 2013 बैच के आईपीएस अफसर रितेश चौधरी की पहली पोस्टिंग जतारा में एसडीओपी के रूप में हुई थी। यहां पोस्टिंग पर उन्होंने जाना है कि क्षेत्र काफी बदहाली के दौर से गुजर रहा है।
युवाओं में आपसी लड़ाई झगड़े के मामलों से आईपीएस रितेश चौधरी को प्रेरणा मिली और उन्होंने अलख जगाया यहां उन्होंने सामाजिक स्थिति को समझ कर जाना कि युवाओं को नई दिशा देना जरूरी है। जिसके चलते उन्होंने पुलिस और आर्मी में भर्ती के लिए युवाओं को निशुल्क कोचिंग देना शुरू किया एक शिक्षक के रूप में आईपीएस को देखना और शिक्षा हासिल करना अपने आप में अनूठी बात थी।
आईपीएस रितेश चौधरी ने ना सिर्फ युवाओं को निशुल्क कोचिंग दी बल्कि आर्मी की तैयारी करना चाह रहे युवाओं को खेल के मैदान में पहुंचकर गोला फेक, ऊंची कूद, सहित तमाम तरह की शारीरिक कसरत सिखाई इन सभी सामाजिक कार्यों के साथ-साथ उन्होंने पुलिसिंग भी बेहद सही तरीके से संभाली।
यही कारण था कि क्षेत्र के युवा मारपीट लड़ाई झगड़े और बेरोजगारी से ऊपर उठकर जीवन को नए आयाम देने में जुट चुके थे इसीलिए उन्हें आज भी याद किया जाता है इसी तर्ज पर मंदसौर क्षेत्र के युवाओं को कोचिंग देने का मन बना रहे हैं हालांकि उन्होंने कहा कि अभी कानून व्यवस्था क्षेत्र की परिस्थितियों को समझ कर ही जल्द प्रयास किए जाएंगे।
शहर के सामान्य से लेकर अतिसंवेदनशील इलाको में पुलिस कंट्रोल रूम के ज़रिए विभिन्न चार्ली, कोबरा, चिता जैसी टीमें लगातार गश्त करती रहती है। ओर महिलाओ से जुड़े अपराधों पर निर्भया टीम बखूबी मुस्तेदी से जुटी रहती है, वही वाहन चेकिंग के लगाए पुलिसकर्मियों पर निगरानी के लिए सर्कल इंचार्ज ड्यूटी करते है, जो पल पल की रिपोर्ट पुलिस कंट्रोल रूम ओर अपने वरिष्ठ अधिकारियों को देते हैं, इन सबके ऊपर जिले के पुलिस कप्तान यानी माइक वन महकमें पर निगरानी करते है।
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