38 जिलों में ठेकेदारों से पोषण आहार लेगी प्रदेश सरकार, जारी करेगी शॉर्ट टर्म टेंडर
पिछली मध्यप्रदेश सरकार ने 22 महीने पहले अगस्त 2018 से सरकारी प्लांटों से पोषण आहार सप्लाई शुरू करने का वादा किया था, लेकिन सरकार इस वादे को पूरा नहीं कर पाई। वहीं अब वर्तमान सरकार 38 जिलों में ठेकेदारों से आहार लेने की तैयारी कर रही है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि भोपालCreated On: 2 March 2019 9:15 AM GMT
भोपाल। पिछली मध्यप्रदेश सरकार ने 22 महीने पहले अगस्त 2018 से सरकारी प्लांटों से पोषण आहार सप्लाई शुरू करने का वादा किया था, लेकिन सरकार इस वादे को पूरा नहीं कर पाई। वहीं अब वर्तमान सरकार 38 जिलों में ठेकेदारों से आहार लेने की तैयारी कर रही है।
जिसके चलते महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसे लेकर प्रस्ताव तैयार कर लिया है और 5 मार्च को होने वाली कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी के लिए रखेगी। बता दें विभाग इस शर्त के साथ छह माह के लिए टेंडर जारी कर रहा है कि जैसे-जैसे सरकारी प्लांटों से सप्लाई शुरू होगी, उस क्षेत्र में ठेकेदारों से आहार लेना बंद कर दिया जाएगा।
गौरतलब है पिछली भाजपा सरकार ने 22 माह पहले स्व-सहायता समूहों से पोषण आहार तैयार कराकर आंगनबाड़ियों में सप्लाई कराने का फैसला लिया था, जिसे वह पूरा नहीं कर पाई। तत्कालीन सरकार ने पिछले साल प्रदेश में आठ (रीवा, सागर, मंडला, धार, होशंगाबाद, देवास, शिवपुरी) सरकारी प्लांट तैयार करने की शुरूआत की है और इसकी जिम्मेदारी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को सौंपी गई थी।
विभाग ने भी अगस्त 2018 से प्लांटों में पोषण आहार तैयार कर सप्लाई शुरू करने का दावा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जिसके बाद सरकार आखिर पोषण आहार की व्यवस्था एक बार फिर ठेकेदारों के हाथों में सौंपने की तैयारी में है।
बता दें प्रदेश की आंगनबाड़ियों में पोषण आहार सप्लाई करने वाली कंपनियों के खिलाफ अक्टूबर 2016 में आयकर विभाग छापामार कार्रवाई की थी। जिसमें आहार सप्लाई में बड़ी गड़बड़ी पकड़ में आई थी। इसके बाद मंत्रियों की अध्यक्षता में हाई पॉवर कमेटी गठित की गई।
कमेटी ने 27 दिसंबर 2016 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। जिसमें पोषण आहार का उत्पादन स्व-सहायता समूह, वनोपज संघ और छोटे कंपनियों से कराने की सिफारिश की थी। विभाग ने इस सिफारिश पर ध्यान नहीं दिया। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी अप्रैल 2017 से स्व-सहायता समूहों से काम कराने को कहा था, लेकिन कंपनियों के दबाव में ऐसा भी नहीं हो सका।
मार्च 2018 में हाईकोर्ट जबलपुर ने शॉर्ट टर्म टेंडर बुलाकर कंपनियों से अगस्त 2018 तक पोषण आहार लेने और इस बीच प्लांट तैयार कर खुद उत्पादन शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी प्लांट तैयार करने और उनमें मशीनों का इन्स्टालेशन और फिर उत्पादन शुरू करने में पांच माह लग गए।
देवास का सरकारी पोषण आहार प्लांट फरवरी में सप्लाई शुरू नहीं कर पाया। मप्र राज्य आजीविका मिशन ने दिसंबर 2018 में ही इस प्लांट से सप्लाई शुरू करने का दावा किया था। इस आधार पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने 1300 से 1600 मीट्रिक टन पोषण आहार सप्लाई का ठेका आजीविका मिशन को देते हुए फरवरी से सप्लाई मांगी थी, लेकिन मिशन सप्लाई नहीं दे पाया। हालांकि मार्च से नियमित सप्लाई का वादा किया गया है।
आजीविका मिशन के अफसरों का कहना है कि मार्च अंत तक होशंगाबाद प्लांट से सप्लाई शुरू हो जाएगी और अगले माह धार प्लांट भी उत्पादन शुरू कर देगा। जबकि अन्य पांच प्लांट मई तक उत्पादन और सप्लाई शुरू कर देंगे।
शाॅर्ट टर्म टेंडर की अवधि बढ़ाई जाना है
देवास प्लांट से सप्लाई मिलने लगी है। इसलिए देवास प्लांट से संबद्ध नौ और भोपाल संभाग के पांच जिलों को छोड़कर शेष जिलों के लिए शाॅर्ट टर्म टेंडर की अवधि बढ़ाई जाना है। इसका प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा है। - जेएन कंसोटिया, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग
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