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सिंधिया बोले- मेरी मेहनत में कमी रह गई इसलिए हार हुई, फिर फूट-फूटकर रोने लगी महिला कार्यकर्ता

ज्योतिरादित्य सिंधिया राजीव गांधी कांग्रेस कार्यालय रविवार की देर शाम पहुंचे। वे जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों से रूबरू हुए और कार्यकर्ताओं से चर्चा करते हुए हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए बोले उनकी खुद की मेहनत में कमी रह गई इसलिए वे चुनाव हारे। इस दौरान महिला फूट-फूटकर रोने लगीं।

सिंधिया बोले- मेरी मेहनत में कमी रह गई इसलिए हार हुई, फिर फूट-फूटकर रोने लगी महिला कार्यकर्ता
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गुना। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव हारने के बाद पहली बार ज्योतिरादित्य सिंधिया राजीव गांधी कांग्रेस कार्यालय रविवार की देर शाम पहुंचे। वे जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों से रूबरू हुए और कार्यकर्ताओं से चर्चा करते हुए हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हुए बोले उनकी खुद की मेहनत में कमी रह गई इसलिए वे चुनाव हारे। इस दौरान महिला फूट-फूटकर रोने लगीं।

गुना पहुंचने के बाद सिंधिया पांच मिनट तक अपने वाहन से नहीं उतरे। इस दौरान कार्यकर्ता अपने नेता का इंतजार करते रहे। एक कार्यकर्ता ने उन्हें जनेऊ की माला पहनाई तो उन्होंने उससे अपनी फाइल बांधकर स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को दे दी। सिंधिया ने जैसे अपना संबोधन शुरू किया तो महिला नेत्रियों की आंखों से आंसू छलकने शुरू हो गए। ब्लॉक अध्यक्षों के साथ सिंधिया ने बंद कमरे में बैठक का आयोजन किया, जो कि देर रात तक चलता रहा।

बेहद थके हुए अंदाज़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्‍होंने मंच पर पहुंचकर खुद अपने हाथ से तकिया उठाया और कार्यकर्ताओं के सामने जाकर बैठ गए। चर्चा के दौरान आखिरकार ज्योतिरादित्य का लोकसभा चुनाव में हार का दर्द छलक गया। सिंधिया ने खुद को सिपाही बताते हुए कहा कि वे एक सच्चे सिपाही की तरह अंतिम सांस तक लड़ेंगे।

हार की समीक्षा के लिए सिंधिया ने बंद कमरे में पदाधिकरियों से भी चर्चा की. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट, महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी, श्रम मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया बंद कमरे के बाहर पहरा देते रहे । आपको बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा के डॉ के पी यादव ने सवा लाख वोटों से हाल ही में हुए लोससभा चुनावों में शिकस्त दी है।

मेरे दायित्व और मेरे द्वारा कमी रह गई - सिंधिया

बैठक में सिंधिया ने कहा, मैं जनता का विश्वास नहीं जीत पाया, अपनी कमियों को दूर करूंगा। प्रजातंत्र में जितनी महत्वपूर्ण जीत होती है, उतनी महत्वपूर्ण हार भी होती है। जिस पथ पर हम पिछले 17 साल से चलते आए है। मैंने अपने भाषणों में भी कई बार कहा है कि यह मेरा राजनीति नहीं जनसेवा का पथ है। विश्वास की कड़ी जनता के साथ जो हमारी दृण बनी थी, वह विश्वास की कड़ी टूटी है। इसके पीछे कई कारण हो सकते है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि उन कारणों का विश्लेषण करूं। मेरे दायित्व और मेरे द्वारा कोई कमी रही होगी। मैं जनता का विश्वास नहीं जीत पाया। मैं अपनी कमियों को दूर करूंगा। मेरी जिंदगी में दो भगवान है। अन्नदाता और मतदाता। गुना की जनता मैं आपके था और जिदंगी भर आपका ही रहूंगा।

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