मध्य प्रदेश/ घर बैठे सक्रिय कार्यकर्ता, गड़बड़ा सकता है भाजपा का बूथ मैनेजमेंट
भाजपा का बूथ मैनेजमेंट अब तक सबसे बढ़िया माना जाता रहा है। इसको लेकर पार्टी गंभीरता से तैयारी करती रही है। इस बार के चुनाव में अब तक बूथ मैनेजमेंट के अंतर्गत मतदाताओं को घर से निकालकर मतदान केन्द्र के लिए भेजने का काम करने वाले सक्रिय कार्यकर्ताओं में रुचि कम है।

भारतीय जनता पार्टी ने नारा दिया था कि-अपना बूथ सबसे मजबूत। इस नारे को चरितार्थ करने वाले भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता अभी भी सक्रिय नहीं हुए हैं। यह कार्यकर्ता वोटर निकालने की तैयारी करने की बजाय अभी भी घर बैठे हुए हैं। ऐसे में भाजपा का बूथ मैनेजमेंट गड़बड़ा सकता है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की गुहार लगाने पार्टी संगठन ने संघ की शरण ली है।
भाजपा नेताओं का मानना रहा है कि पिछले एक-दो दशक के दौरान भाजपा ने बूथ मैनेजमेंट पर जोर देना शुरू किया। भाजपा का बूथ मैनेजमेंट अब तक सबसे बढ़िया माना जाता रहा है। इसको लेकर पार्टी गंभीरता से तैयारी करती रही है। इस बार के चुनाव में अब तक बूथ मैनेजमेंट के अंतर्गत मतदाताओं को घर से निकालकर मतदान केन्द्र के लिए भेजने का काम करने वाले सक्रिय कार्यकर्ताओं में रुचि कम है।
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यह कार्यकर्ता रणनीति और तैयारी की बजाय अब तक घर पर ही बैठे हुए हैं। जबकि खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल आदि मान चुके हैं कि वोटरों को घर से निकालने और मतदान के लिए भेजने, बेहतर बूथ मैनेजमेंट ही पार्टी की सफलतस का राज है। यह काम पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता ही संभालते रहे हैं।
इस बार पार्टी ने कार्यकर्ताओं के लिए नारा भी दिया था- अपना बूथ सबसे मजबूत। इसके बावजूद सक्रिय कार्यकर्ताओं द्वारा इस काम में रुचि कम लेने से पार्टी की चिंता बढ़ गई है। इससे पहले भाजपा 25 सितंबर को राजधानी में कार्यकर्ता महाकुंभ भी कर चुकी है। जिसमें बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को राजधानी बुलाया गया था। इन कार्यकर्ताओं में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी जोश भरा था।
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संघ कसेगा लगाम
भाजपा ने पार्टी की चिंताओं को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तक पहुंचा दिया है। जिसके बाद अब संघ के प्रचारक पार्टी के किसी वजह से नाराज होकर या रुचि न लेने वाले घर बैठे कार्यकर्ताओं को मनाने का काम संभाल लिया है। इन कार्यकर्ताओं में जोश भरकर फिर से सक्रिय किया जा रहा है।
प्रवासी कार्यकर्ता लौटे
चुनाव प्रचार थमने के आखिरी दो दिन रविवार और सोमवार को मप्र में दूसरे प्रदेशों से आए प्रवासी कार्यकर्ताओं की रवानगी हो गई है। यह कार्यकर्ता प्रदेश के विधानसभा क्षेत्र स्तर पर भाजपा का काम संभाल रहे थे। प्रवासी कार्यकर्ताआें में दिल्ली, उप्र, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड के कार्यकर्ता शामिल हैं।
चुनाव आयोग के नियम के चलते इन कार्यकर्ताओं को मतदान शुरू होने के 48 घंटे पहले प्रदेश छोड़ना होता है। इसको ध्यान में रखते हुए ज्यादातर कार्यकर्ता रविवार शाम को ही प्रदेश छोड़कर रवाना हो गए, बाकी कार्यकर्ता सोमवार सुबह तक रवाना हो गए। पार्टी से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग दो हजार प्रवासी कार्यकर्ता प्रदेश में पार्टी के लिए काम संभाल रहे थे। यह प्रवासी कार्यकर्ता पार्टी को खुफिया रिपोर्ट भेजने से लेकर, कार्यालय प्रबंधन और चुनाव प्रचार तक में शामिल थे।
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