MP: हर बार अपना विधायक बदलती है ये विधानसभा सीट
भाजपा, कांग्रेस के साथ यहां एक तीसरी बडी पार्टी के रूप में पिछली बार बसपा ने भी जबरदस्त ताल ठोंकी थी जिसके बाद राजनीति पंडितों ने अपने केलकुलेशन में कुछ बदलाव किया जो अबकी बार चुनाव में देखने को मिलेंगे।

भाजपा, कांग्रेस के साथ यहां एक तीसरी बडी पार्टी के रूप में पिछली बार बसपा ने भी जबरदस्त ताल ठोंकी थी जिसके बाद राजनीति पंडितों ने अपने केलकुलेशन में कुछ बदलाव किया जो अबकी बार चुनाव में देखने को मिलेंगे। क्योंकि बसपा के झण्डे को फर्श से अर्श पर ले जाने वाले प्रत्याशी अब कांग्रेस के झण्डे के नीचे पहुंच चुके हैं।
भाजपा में परिस्थितियां कुछ हद तक ठीक हैं लेकिन वहां भी मनस्थितियां बदल सकती है इससे इंकार नहीं किया जा सकता। तो वहीं कांग्रेस में मौसम बिल्कुल भी अनुकूल नहीं हैं जहां कई दावेदारों ताल ठोंक कर कांग्रेस आलाकमान के सामने दुविधा खडी कर दी है लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने गाइड लाइन बनाई है उसके मुताबिक यहां भी बदलाव होना तय है।
कांग्रेस के दावेदारेां में जो द्वंद्ध युद्ध इस समय चल रहा है निश्चित ही बदलाव की झांकी को मन में उतारने के बाद यह माना जा रहा है कि अबकी बार कांगे्रस का विधायक ही श्योपुर की सीट पर काबिज होगा क्यांेकि हर पांच साल में सीट कांग्रेस के खाते में मिलती है जिसके आधार पर कई लोगों ने अपनी दावेदारी ठोकते हुए जीत के अपने अपने दावे पेश किये हैं। हमारे क्षेत्रीय भ्रमण और चैपाल चर्चाओं में जो नाम छन कर सामने आए है उनमे मात्र तीन ऐसे दावेदार है जो कांग्रेस की नांव को आगे बढाते हुए विधानसभा क्रमांक 01 को फतेह करा सकते हैं।
जातीय समीकरण:
ब्राह्यण 16000
वैश्य 14000
मीणा 43000
क्षत्रिय 2200
मुस्लिम 24000
सहरिया आदिवासी 9,000
जाटव 32000
वैष्णव बैरागी 6000
माली 7000
गूर्जर 7000
भारतीय जनता पार्टी
दुर्गालाल विजय: वर्तमान विधायक हैं पिछले चुनाव में 65 हजार से अधिक मत प्राप्त करते हुए 13 हजार मतों से रिकार्ड जीत उनके पक्ष में जा सकती है। लेकिन संगठन और सर्वे रिपोर्ट में स्थितियां भिन्न होने की वजह से उन्हें पार्टी को इस बार टिकिट देने में संशय हो सकता है
माइनस प्वॉइंट: अगर भाजपा इन्हें अपना प्रत्याशी घोषित करती है तो निश्चित रूप से भाजपा को भारी दमखम दिखानी होगी क्योंकि ऐंटी इंकमबेंसी की तलवार इन पर लटकी हुई है
कविता सुरेश मीणा: कविता सुरेश मीणा को भाजपा प्रत्याशी बनाये जाने की अटकले इस लिहाज से की जा रही है क्योंकि बहुसंख्यक समाज होने के साथ वे भाजपा के वरिष्ठ नेता मूलचंद रावत की बहू है जो कि कई बार निर्दलीय विधायकी का चुनाव लड चुके हैं और अच्छे वोट पाकर पार्टियों के बजट को बिगाडते रहे हैं। इशके साथ ही इन्हे तोमर गुट का माना जाता है। क्षेत्र में जातिगत समीकरण भी इनके पक्ष में है।
माइनस प्वॉइंट: पारिवारिक पृष्ठभूमि में दबंगता और बाहुबली के रूप में पहचान, परिवार के कई लोगों पर दलित समाज पर दबंगई के आरोप।
महावीर सिंह सिसौदिया: भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष एवं वर्तमान में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महावीर सिंह सिसौदिया की दावेदारी को इसलिए भी नकारा नहीं जा सकता कि वे केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के खास सिपहसालारों में से एक माने जाते हैं सात ही पहले भी कई बार चुनावों में अपनी ताकत दिखा चुके हैं
माइनस प्वॉइंट: दो नगर परिषद के चुनावों में हार सिरदर्द बन सकती है। वहीं क्षत्रीय समाज का वोट प्रतिशत भी कम होने के कारण इनकी जीत में संदेह पैदा करता है।
कांग्रेस: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बृजराज सिंह चौहान: पांच बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके बृजराज सिंह चौहान को दो बार क्षेत्र की जनता ने विधानसभा पहुंचाया है। तो तीन बार उन्हें हार का सामना भी करना पडा है। इस बार भी टिकिट के लिए ताल ठोक रहे हैं इसके साथ ही वे पार्टी द्वारा किए गए सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए अपनी दावेदारी को मजबूत बता रहे हैं,
माइनस प्वॉइंट: लेकिन पिछले चुनाव में 32 हजार से अधिक वोटों से हार इनकी राह में रोड़ अटका सकी है। क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं का कहना है कि 15 हजार से अधिक वोटों से हारने वाले प्रत्याशी को टिकिट नहीं दिया जाएगा।
कुंजबिहारी सर्राफ: कांग्रेस पार्टी में दूसरा सबसे बडा नाम वैश्य समाज के कुंजबिहारी सर्राफ का है जो इस बार पूरी ताकत के साथ अपनी मजबूत दावेदारी पेश किए हुए हैं। चेहरे में परिवर्तन और गांव गांव तक लोगों की पहुंच इनकी दावेदारी को मजबूत बनाती है,
बाबूलाल मीणा जंडेल: कांग्रेस में दावेदारी जताने वालों में तीसरा नाम आता है बाबू लाल मीणा जंडेल का जिन्होनें विगत चुनावों में भाजपा कांग्रेस के लिए सरदर्दी बढाई थी तथा वर्ष 2013 में 53000 वोट लेकर दूसरा स्थान हांसिल कर कांग्रेस को तीसरे नम्बर पर पहुंचा दिया था। मीणा बाहुल्य वोटों की दम पर अपने को कांग्रेस की और से दमदार दावेदार बताने वालों में वे प्रत्याशी है
माइनस प्वॉइंट: जिन्हें बसपा से कांग्रेस में आए पेराशूट माना जा रहा है लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बयानों में स्पष्ट उल्लेख है कि कांग्रेस में पेराशूट प्रत्याशी नहीं चलेगा जो भी अन्य दलों से कांग्रेस में आए हैं वे इंतजार करें।
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