MP Assembly Election/ जानें क्या है ई-क्यूलेस पोलिंग बूथ, मध्य प्रदेश में सबसे पहले हो रही है शुरुआत
देश में पहली बार मप्र के युवाओं व पढ़े-लिखे मतदाताओं को ई-क्यूलेस पोलिंग बूथ की सुविधा मिलने जा रही है। इसमें कोई भी मतदाता घर बैठे अपने मतदान के लिए टाइम स्लॉट लेकर बुकिंग करा सकता है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 23 Nov 2018 12:48 PM GMT Last Updated On: 23 Nov 2018 12:48 PM GMT
देश में पहली बार मप्र के युवाओं व पढ़े-लिखे मतदाताओं को ई-क्यूलेस पोलिंग बूथ की सुविधा मिलने जा रही है। इसमें कोई भी मतदाता घर बैठे अपने मतदान के लिए टाइम स्लॉट लेकर बुकिंग करा सकता है।
2013 के चुनाव में पहली बार मप्र के नीमच में इस तरह की सुविधा दी गई थी। बाद में तमिलनाडु ने यह प्रयोग किया। अब फिर से मप्र के सभी जिलों के चुनिंदा पोलिंग बूथ पर यह सुविधा शुरू की जा रही है।
चुनाव आयोग ने दिव्यांगों, गर्भवती व धात्री महिलाओं को क्यू जंप वोटिंग कराने का निर्णय लिया है। यानी इन्हें लाइन में नहीं लगना पड़ेगा। इसके साथ ही ऐसे पोलिंग बूथ जो वीआईपी क्षेत्र नहीं है, और वहां पिछले चुनावों में वोटिंग प्रतिशत सामान्य से भी कम था।
ऐसे बूथ पर क्यू-लेस वोटिंग की सुविधा दी जाएगी। यहां कलेक्टर की ओर से नियुक्त विशेष वालंटियर 5-5 लोगों को टोकन देकर वोटिंग कराएगा। इन 5 के लिए बूथ पर बैठने की सुविधा होगी। इन पांचों के वोट देने के बाद बाकी 6 से 10 तक के लोगों को यह सुविधा दी जाएगी।
यह प्रयोग भी बिल्कुल नया है। इसे क्यू-लेस पोलिंग बूथ का नाम दिया गया है। ऐसे बूथों की संख्या प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक-दो होगी। मप्र में वोटिंग के लिए पांच तरह की व्यवस्था की जा रही है। इसमें पहले में दिव्यांग, दूसरे में गर्भवती व धात्री महिलाओं के लिए क्यू जंप की सुविधा, तीसरे में ई-क्यू-लेस, चौथे में जनरल टोकेन प पांचवें में टोकेन वाला मतदान होगा।
देश में पहली बार ई-क्यू-लेस वोटिंग की सुविधा
इन सबसे अलग प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में या फिर जिला निर्वाचन अधिकारी के तैयारियों के आधार पर ई-क्यू-लेस वोटिंग कराने का निर्णय भी लिया गया है। इसके लिए चुनाव आयोग ने एक ई-क्यू-लेस ऐप तैयार किया है।
इस ऐप को अपने मोबाइल फोन पर अपलोड कर कोई भी व्यक्ति अपने क्षेत्र के पोलिंग बूथ के रिक्त टाइप स्लॉट पर बुकिंग कराकर अपना वोट दे सकता है। ऐप पर रजिस्ट्रेशन के तत्काल बाद टोकन के रूप में एक मैसेज मिलेगा। इसमें टाइम दिया होगा।
उसी समय पर पोलिंग बूथ पर जाकर वोट करना होगा। यह आधे घंटे तक बैलिड रहेगा। इसके बाद आने वाले वोटर को सामान्य वोटर की तरह ही मतदान करना होगा। भोपाल में इस तरह के एक ई-क्यू-लेस व 5 क्यू- लेस पोलिंग बूथ खोलने का निर्णय लिया गया है। ऐप पर रजिस्ट्रेशन 24 या 25 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। टाइप स्लॉट के लिए पहले आओ, पहले पाओ को आधार बनाया जाएगा।
पहली बार नीमच से हुई थी शुरूआत
क्यू-लेस वोटिंग की शुरूआत पहली बार 2013 के चुनाव में नीमच से शुरू हुई थी। उस वक्त नीमच कलेक्टर विकास नरवाल थे। इस बार आईएएस नरवाल जब मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में ज्वाइंट सीईओ बनकर आए तो उन्होंने इस कांसेप्ट पर काम करना शुरू किया।
हालांकि नीमच मॉडल को 2014-15 में कटनी के पंचायत व नगरीय निकाय चुनाव में भी अपनाया गया था, बाद में तमिलनाडु के चुनाव में इसे लागू किया गया। बाद में कुछ और राज्यों ने भी अपनाया। अब मप्र में यह बड़े स्तर पर लागू किया जा रहा है।
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