मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 / पारिवारिक गढ़ों में तेज हुई भाजपा और कांग्रेस की टक्कर
मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर के संकेतों के बीच भाजपा और कांग्रेस अब एक दूसरे के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इलाकों में मात देने के लिए किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।

मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर के संकेतों के बीच भाजपा और कांग्रेस अब एक दूसरे के मजबूत गढ़ माने जाने वाले इलाकों में मात देने के लिए किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।
सभी प्रमुख पारंपरिक सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रचार के लिए घर-घर जा रहे है। इन नेताओं में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे अनुभवी नेता और शिवराज सिंह चौहान तथा कैलाश विजयवर्गीय जैसे भाजपा के दिग्गज शामिल हैं।
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कई नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने आम मतदाताओं को बताया कि दिग्गज नेता भी अपनी तथाकथित ‘सुरक्षित सीटों' पर अभूतपूर्व चुनाव प्रचार में शामिल हैं और वे प्रतिद्वंद्वियों के लिए कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य में एक व्यापक राजनीतिक लड़ाई देखने को मिल रही है। 15 वर्षों की सत्ता विरोधी लहर के बाद भाजपा के लिए जीत हासिल करना आसान नहीं है और सत्ता में वापसी करने के लिए कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति है।
गुना-शिवपुरी सीट से कांग्रेस सांसद सिंधिया ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम विधानसभा सीटें सुनिश्चित करने के लिए अपने संसदीय क्षेत्र और इसके आसपास 40 से अधिक रैलियां की।
कांग्रेस नेता के एक करीबी सहयोगी ने कहा कि हमें इस संसदीय सीट में आठ विधानसभा सीटों में से कम से कम छह सीटें जीतने की उम्मीद हैं। इस चुनाव को सिंधिया के व्यक्तिगत चुनाव अभियान के रूप में लिया जा रहा है।
47 वर्षीय सिंधिया ने शिवपुरी में अपनी पार्टी के उम्मीदवार के लिए एक रोड शो भी किया। शिवपुरी को उनकी रिश्तेदार और राज्य में भाजपा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया का गढ़ माना जाता है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के गढ़ राघोगढ़ में उनके पुत्र जयवर्धन सिंह कांग्रेसी उम्मीदवार है और भाजपा ने भूपेन्द्र सिंह रघुवंशी को चुनाव मैदान में उतारा है।
निकटवर्ती चाचौड़ा सीट पर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को खड़ा किया है जबकि भाजपा ने मौजूदा विधायक ममता मीणा को टिकट दिया है।
अपने परंपरागत गढ़ में भाजपा द्वारा सेंध लगाने के प्रयास की बात स्वीकार करते हुए लक्ष्मण सिंह ने कहा कि वे (भाजपा) कई वर्षों से प्रयास कर रहे है लेकिन कांग्रेस इन क्षेत्रों में बहुत अच्छा संगठन है।
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हमें राजगढ़ की सभी आठ विधानसभा सीटों में जीत की उम्मीद हैं।' राघोगढ़ और चाचौड़ा, राजगढ़ संसदीय सीट का हिस्सा है जिस पर इस समय भाजपा का कब्जा है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्य पार्टी के प्रमुख कमलनाथ अपने छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के तहत सभी सात सीटें जीतने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि भाजपा ने ‘‘बहुत ही सावधानी' से उम्मीदवारों को टिकट दिये है।
इंदौर में भाजपा ने उपाध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र आकाश को एक सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। हालांकि यह क्षेत्र विजयवर्गीय का एक मजबूत गढ़ माना जाता है लेकिन कांग्रेस ने अश्विन जोशी को टिकट देकर इस गढ़ में चुनौती दी है।
जोशी ने 2003 में उस समय जीत दर्ज की थी जब अधिकतम सीटें भाजपा को मिली थी। राज्य सचिवालय में एक वरिष्ठ नौकरशाह ने कहा कि इस बार भाजपा और कांग्रेस के लिए हर सीट मायने रखती है।
यह चुनावी लड़ाई उन परंपरागत गढ़ों तक पहुंच गई है जिस पर एक दूसरे के खिलाफ जीत दर्ज करने से न केवल बढ़त बनेगी बल्कि 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मनोबल भी बढ़ेगा। राज्य की 230 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 28 नवंबर 2018 को होगा।
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