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बाल कुपोषण में मध्यप्रदेश-झारखंड सबसे निचले पायदान पर, शीर्ष राज्यों में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश

बच्चों की कुशलता को मापने वाले सूचकांक में झारखंड और मध्यप्रदेश खराब पोषण तथा शिशुओं के जीने की कम दर के कारण निचले पायदान पर हैं। सूचकांक में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर रहे।

बाल कुपोषण में मध्यप्रदेश-झारखंड सबसे निचले पायदान पर, शीर्ष राज्यों में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश
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भोपाल। बच्चों की कुशलता को मापने वाले सूचकांक में झारखंड और मध्यप्रदेश खराब पोषण तथा शिशुओं के जीने की कम दर के कारण निचले पायदान पर हैं। सूचकांक में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर रहे। इस सूचकांक का आकलन बच्चों के स्वास्थ्य संबंधी विकास, सकारात्मक संबंध और संरक्षण संबंधी विषयों के आधार पर किया जाता है।


सूचकांक के अनुसार केरल ने स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षण सुविधाओं में जबरदस्त प्रदर्शन करके शीर्ष स्थान हासिल किया है। बाल कुपोषण में सबसे निचले पायदानों पर मेघालय, झारखंड और मध्य प्रदेश हैं। मंगलवार को प्रकाशित द चाइल्ड वेल-बीइंग इंडेक्स रिपोर्ट से तीन मानकों के आधार पर बच्चों की कुशलता, उनकी सेहत को मापा जाता है। गैर सरकारी संगठनों वर्ल्ड विजन इंडिया और आईएफएमआर लीड ने इस सूचकांक को विकसित किया है।


इसके तहत प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में बच्चों की स्थिति का आकलन किया जाता है। सूचकांक में केरल, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश शीर्ष पर रहे। वहीं सबसे निचले पायदानों पर मेघालय, झारखंड और मध्य प्रदेश आए हैं। वर्ल्ड विजन इंडिया के राष्ट्रीय निदेशक और सीईओ चेरियन थॉमस ने कहा यह रिपोर्ट बच्चों की कुशलता को मापने के लिए बहुआयामी तरीकों को उजागर करती है। इसमें महज गरीबी को ही नहीं मापा जाता, बल्कि उससे परे अन्य मानकों पर भी स्तर मापा जाता है।

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