लोकसभा चुनाव 2019 : रतलाम - झाबुआ में मजबूत कांग्रेस से भाजपा के सामने बड़ी चुनौती
रतलाम - झाबुआ लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं मप्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। जबकि भाजपा ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती है, इसलिए भाजपा को यहां प्रत्याशी तय करने में मुश्किल हो रही है। कांतिलाल भूरिया इस सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। वे मनमोहन सिंह सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।

भोपाल। रतलाम - झाबुआ लोकसभा सीट से कांग्रेस के दिग्गज नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं मप्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। जबकि भाजपा ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ मानी जाती है, इसलिए भाजपा को यहां प्रत्याशी तय करने में मुश्किल हो रही है। कांतिलाल भूरिया इस सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं। वे मनमोहन सिंह सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।
रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट के अब तक के इतिहास में हुए कुल 16 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस सिर्फ तीन चुनाव ही हारी है। कांतिलाल भूरिया इस सीट से पांच बार सांसद रह चुके हैं, जबकि एक बार उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा है। कांतिलाल भूरिया मोदी लहर में 2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा के दिलीप सिंह भूरिया ने उन्हें हराया था, हालांकि अगले साल ही दिलीप सिंह भूरिया के निधन के बाद 2015 में हुए उपचुनाव में कांतिलाल भूरिया ने फिर सीट पर कब्जा कर लिया। वे वर्तमान में यहां से सांसद हैं।
इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्रों में से वर्तमान में 5 क्षेत्रों पर कांग्रेस का कब्जा है,जबकि 3 सीटों पर भाजपा जीती है। संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत अलीराजपुर, जोबट, झाबुआ, थांदला, पेटलावद, सैलाना, रतलाम ग्रामीण, रतलाम शहर सीटें शामिल हैं।
2018 के विधानसभा चुनाव में लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाली आठों विस सीटों में कांग्रेस पार्टी को कुल 5 लाख 64 हजार 945 वोट मिले थे। जबकि भाजपा को 5 लाख 35 हजार 36 वोट मिले। कांग्रेस विस चुनाव में पूरे क्षेत्र में 29 हजार 903 वोटों से आगे रही है।
कांतिलाल भूरिया 2015 का उपचुनाव 88 हजार 832 वोटों से रतलाम लोकसभा जीते थे। इन्होंने भाजपा की निर्मला दिलीप सिंह भूरिया को हराया था।
किसके बीच मुकाबला -
कांग्रेस प्रत्याशी - कांतिलाल भूरिया
भाजपा के दावेदार - जीएस डामोर, नागर सिंह चौहान, निर्मला भूरिया
फैक्ट फाइल -
कुल मतदाता - 17 लाख 2 हजार 576
पुरुष मतदाता - 8 लाख 60 हजार 759
महिला मतदाता - 8 लाख 41 हजार 564
थर्ड जेंडर मतदाता - 27
विधानसभा चुनाव में हार गए कांतिलाल के बेटे -
2018 के विधानसभा चुनाव में सांसद कांतिलाल भूरिया ने अपने बेटे विक्रांत भूरिया को कांग्रेस के टिकट पर झाबुआ सीट से चुनाव लड़वाया था। विक्रांत विधानसभा चुनाव हार गए। बेटे को स्थापित करने में जुटे कांतिलाल भूरिया की चिंताएं बेटे विक्रांत की हार से बढ़ गईं।
ज्यादातर कांग्रेस के पक्ष में रही सीट -
रतलाम - झाबुआ सीट से 1952 से लेकर 1967 तक चार चुनाव कांग्रेस ने जीते। 1971 व 1977 के दो चुनाव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के भागीरथ भंवर ने जीते। 1980 के चुनाव में फिर कांग्रेस ने यह सीट अपने पास कर ली, तब से लेकर 2014 तक कांग्रेस पार्टी ही यहां से जीती। 1980 से लेकर 1996 तक कांग्रेस के टिकट पर दिलीप सिंह भूरिया यहां से चुनाव जीते। 1998 के चुनाव में वे भाजपा के टिकट से मैदान में उतरे।
कांग्रेस ने उनके मुकाबले कांतिलाल भूरिया को मैदान में उतारा। दिलीप सिंह को पार्टी बदलने का खामियाजा भुगतना पड़ा, वे चुनाव हार गए। 1998 से लेकर 2009 तक कांतिलाल भूरिया इस सीट से लगातार सांसद रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते कांतिलाल भूरिया चुनाव हार गए। उन्हें भाजपा के टिकट पर लड़े दिलीप सिंह भूरिया ने परास्त किया।
सालभर के भीतर ही दिलीप सिंह भूरिया का निधन हो गया। 2015 में फिर इस सीट पर उपचुनाव हुआ। भाजपा ने स्व. दिलीप सिंह भूरिया की बेटी एवं पेटलावद विधायक निर्मला भूरिया को टिकट दिया, कांग्रेस से फिर कांतिलाल चुनाव लड़े। कांतिलाल भूरिया ने निर्मला भूरिया को हराकर फिर सीट पर कब्जा कर लिया। इसके बाद निर्मला भूरिया 2018 का विधानसभा चुनाव भी पेटलावद से लड़ीं, लेकिन वे विधानसभा चुनाव भी हार गईं।
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