देर रात प्रभु यीशु ने लिया जन्म, खुशी से छलके भक्तों के आंसू
शहर के कैथोलिक गिरजाघरों में सोमवार की देर रात 12 बजे प्रभु यीशु मसीह का जन्म गोशाला के प्रतीकात्मक स्वरूप चरनी में हुआ। इसके बाद प्रभु के अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और आंखों से आंसू छलक पड़े। बालक यीशु की आराधना शुरू हो गई।

शहर के कैथोलिक गिरजाघरों में सोमवार की देर रात 12 बजे प्रभु यीशु मसीह का जन्म गोशाला के प्रतीकात्मक स्वरूप चरनी में हुआ। इसके बाद प्रभु के अनुयायियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी और आंखों से आंसू छलक पड़े। बालक यीशु की आराधना शुरू हो गई।
लोग कैरोल गीत के माध्यम से शांति, भाईचारा और क्रिसमस के आगमन का संदेश देने लगे। साथ ही विशेष प्रार्थना की गई। उनके जन्म के साथ ही संसार में प्रेम फैलाने का संदेश दिया गया। शहर में हर तरफ जश्न का माहौल दिखा। इससे पहले चर्चों में सुबह से ही प्रार्थना सभा दौर शुरू हो गया था। इसमें प्रभु यीशु के प्रेम संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया गया।
इस मौके पर शहर के तमाम चर्च पूरी तरह सजे थे। चर्चों में प्रार्थना के लिए सज-धजकर पहुंचने वालों का हुजूम देखने लायक था। इसी तरह का माहौल ईसाई समुदाय के लोगों के घरों में दिखने को मिला।
कई चर्चों में क्रिसमस ट्री आकर्षण का केन्द्र रहे। आकर्षक साज-सज्जा के साथ राजधानी के गिरिजाघर कैरोल सिंगिग से गुंजायमान रहे। इस अवसर पर युवाओं ने प्रभु यीशु के गीत गाकर उनके जन्मोत्सव को और भी खुशनुमा बना दिया।
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