HC ने सहायक प्राध्यापकों की भर्ती पर लगी रोक हटाई, 2500 पदों पर नियुक्ति देने के लिए शासन स्वतंत्र, सिर्फ जिस पद को लेकर आपत्ति उसी पर रहेगा स्टे
मध्यप्रदेश पीएससी द्वारा चयनित सहायक प्राध्यापकों के विविध विषयों के पदों पर लगी रोक को उच्च न्यायालय जबलपुर ने हटा ली है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस विजय शंकर झा और विजय कुमार की बेंच ने संयुक्त रूप से सुनवाई की।

भोपाल। मध्यप्रदेश पीएससी द्वारा चयनित सहायक प्राध्यापकों के विविध विषयों के पदों पर लगी रोक को उच्च न्यायालय जबलपुर ने हटा ली है। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस विजय शंकर झा और विजय कुमार की बेंच ने संयुक्त रूप से सुनवाई की। उन्होंने अपने आदेश में कहा कि जो आरक्षित वर्ग की महिलाएं अनारक्षित महिला के पदों पर चयनित सूची में है केवल कुछ पदों को रोककर बाकी सभी करीब 2500 पदो पर को नियुक्ति देने में शासन स्वतंत्र है।
इस बहस में शासन, पीएससी और पीएससी चयनित सहायक प्राध्यापक संघ की ओर से हिमांशु मिश्रा, प्रशान्त सिंह, अंशुल तिवारी और आकाश चैधरी ने पैरवी की। ज्ञात हो कि डब्ल्यूपी 196302019 में इन्होनें बताया की अंजू शुक्ला विरुद्ध मप्र राज्य के केस में माननीय हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर चयन प्रक्रिया में हॉरिजोंटल महिला आरक्षण के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग एवं लोकसेवा आयोग को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है और केवल केमिस्ट्री विषय की चयन सूची में आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के अनारक्षित महिला वर्ग में चयन पर अगली सुनवाई तक स्टे दिया है।
साथ ही चयनित अभ्यर्थियों को एक बड़ी राहत देते हुए अपने अंतरिम आदेश में यह स्पष्ट किया है कि उक्त स्टे का प्रभाव केवल इसी विस्तार तक रहेगा कि आरक्षित वर्ग की महिला अभ्यर्थियों का समायोजन अनारक्षित महिला पदों पर हुआ है फिलहाल केवल इन कुछ नियुक्तियों पर रोक रहेगी। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि सबंधित प्राधिकारी अर्थात उच्च शिक्षा विभाग चयन सूची के शेष भाग पर आगे नियुक्तियां कर सकते हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर चयनित 2500 से अधिक अभ्यर्थियों के लिए यह एक बड़ी राहत है।
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