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मध्य प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस में दिग्विजय सिंह को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी!

छह महीने की नर्मदा यात्रा में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का भले ही छह किलो वजन कम हो गया हो मगर राजनीतिक वजन उनका किसी भी तरह कम नहीं हुआ, बल्कि वे बेहद मजबूती से खुद को टीम-राहुल में स्थापति करते नजर आ रहे हैं।

मध्य प्रदेश चुनाव से पहले कांग्रेस में दिग्विजय सिंह को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी!
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छह महीने की नर्मदा यात्रा में कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का भले ही छह किलो वजन कम हो गया हो मगर राजनीतिक वजन उनका किसी भी तरह कम नहीं हुआ, बल्कि वे बेहद मजबूती से खुद को टीम-राहुल में स्थापति करते नजर आ रहे हैं। उनकी यात्रा के दौरान राज्य प्रभारी महासचिव बदले गए। नए बनाए गए।

इस दौरान पुराने महासचिवों के एआईसीसी स्थित दफ्तरों को नए पदाधकारियों को आवंटित कर दिया गया, मगर महासचिवों में सिर्फ दिग्विजय सिंह का न सिर्फ एआईसीसी स्थित कार्यालय यथावत रहा बल्कि नेम-प्लेट भी नए सिरे से लगाए गए।

नर्मदा यात्रा के बाद दिल्ली लौटे दिग्विजय सिंह तो एआईसीसी में नए सिरे बिसातें बिछती हुई दिख रही हैं। मध्यप्रदेश में अब तक संगठनात्मक बदलाव को लेकर असमंजस में रहे कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व चुनावी राज्य होने के कारण मप्र के मंथन में जुट गया है।

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जो जवाबदारी मिलेगी निभाएंगे

दिग्विजय सिंह ने पहले ही कह दिया है कि वे मुख्यमंत्री पद के इच्छुक नहीं, मगर राजनीति का एक उसूल ये भी है कि जो मन में हो उसे कभी प्रदर्शित न किया जाए। कुछ पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब जो भी जिम्मेदारी देंगे उसके लिए मैं तैयार हूं। अब इस बयान के बड़े मायने हैं।

कांग्रेस को मिली शक्ति

एआईसीसी एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, नर्मदा यात्रा के बाद मप्र की जनता के साथ दिग्विजय सिंह की मेल-मुलाकातों ने कांग्रेस को निश्चित रूप से नई उर्वरा शक्ति दी है।

फ्री-हैण्ड देना होगा

एक अन्य पदाधिकारी का कहना है कि यात्रा के बाद दिग्विजय सिंह को जो सूबे के कोने-कोने की फर्स्ट-हैंड जानकारी है वो वहां के किसी भी नेता के पास नहीं है, लिहाजा उनके अनुभव और यात्रा के बाद उपजे कांग्रेस के प्रति लोगों के स्नेह को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को फ्री-हैंड देकर चुनावी-मोड में राज्य में झोंक देना चाहिए।

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मप्र पर निर्णय अगले सप्ताह

उम्मीद की जा रही है अगले हफ्ते तक मप्र को लेकर कुछ बड़ा निर्णय राहुल गांधी करें। अभी तक प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव को हटाकर पहले कमलनाथ को कमान देने के कयास लगे फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम चला, लेकिन दोनों ही नामों पर धीरे-धीरे बात होना भी बंद हो गया।

राहुल के करीबी

दिग्विजय सिंह को वैसे भी राहुल गांधी के करीबी नेताओं में शुमार किया जाता है। उनके करीबी एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे भले ही उम्र के लिहाज से 71 वर्ष के हो गए हैं मगर इस उम्र में भी उन्होंने नर्मदा यात्रा का संकल्प पूरा कर साबित कर दिया है कि वे पूरी तरह फिट हैं और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार भी।

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