राम मंदिर निर्माण में सरयू नदी का पानी बन रहा बाधा, जानिये किस तरह निपटा जाएगा इस चुनौती से
रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर का ढांचा इस तरह से होगा कि यह आने वाले एक हजार साल तक बाढ़ या भूकंप जैसी त्रासदियाें से भी सुरक्षित रहे

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने तमाम अड़चनों के बावजूद मंदिर निर्मााण तय समय पर पूरा होने की बात कही
अयोध्या में सरयू नदी के करीब राम मंदिर निर्माण स्थल के नीचे पानी की मौजूदगी के कारण मंदिर की नींव के डिजाइन को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। हालांकि रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का दावा है कि मंदिर का ढांचा ऐसा होगा कि आने वाले एक हजार साल में भी बाढ़ या भूकंप जैसी त्रासदियां इसका कुछ न बिगाड़ पाए। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण कार्य में हो रही देरी पर विस्तार से जानकारी दी है।
लार्सन एंड टूब्रो और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स लिमिटेड के इंजीनियरों और विशेषज्ञों के साथ ट्रस्ट के पदाधिकारियों की बैठक के बाद चंपत राय ने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए नींव की खुदाई करने पर नीचे बालू की मात्रा अधिक पाई गई थी, जिससे मंदिर की दीवार और पिलरों के धंसने की आशंका जताई गई थी। इसी वजह से मंदिर की नींव के डिजाइन को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही मंदिर की बुनियाद के डिजाइन के काम को अंतिम रूप दे दिया जाएगा और जल्द ही मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा। राम मंदिर निर्माण समिति के प्रमुख नृपेंद्र मिश्रा की अध्यक्षता में हुई बैठक में ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि भी मौजूद थे।
बाढ़ व भूकंप तक का रखा जाएगा ध्यान
इससे पहले चंपत राय ने कहा था कि राम मंदिर का निर्माण ऐसे किया जाएगा, जिससे यह एक हजार साल तक भी बाढ़ और भूकंप जैसी बडी त्रासदियों में भी सुरक्षित रह सके। राय के मुताबिक मंदिर निर्माण शुरू करने से पहले भूमिगत परीक्षण में सात माह का समय अवश्य लगा है, लेकिन मंदिर का निर्माण तय समय पर ही पूरा कर लिया जाएगा। मंदिर निर्माण में 39 माह का समय लगेगा।
इस तरह से निपटेंगे चुनौती से
शुक्रवार को रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की दो दिवसीय बैठक के आखिरी दिन इसी बात पर गहन मंथन हुआ कि मंदिर निर्माण तय समय पर पूरा किया जाए। चंपत राय ने कहा कि नींव के लिए मलबा हटाने के काम में करीब 70 दिन का समय लगेगा। इसके बाद पत्थरों और अन्य निर्माण सामग्री से नींव की भराई का काम शुरू होगा। नींव की खुदाई कई लेयर में होगी। जहां जरूरी नहीं होगा, वहीं खुदाई नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वे मंदिर डिजाइन को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। जितनी प्रमाणिकता के साथ वैज्ञानिकों ने अपना काम किया है, उससे पूरी दुनिया भारत का लोहा मानेगी।