सपा सांसद आजम खान मेदांता अस्पताल लखनऊ से सीतापुर जेल शिफ्ट, जानिये कोरोना को कितने दिनों में हराया?
आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला पर अलग अलग आरोपों में करीब 120 से ज्यादा मुकदमें दर्ज है। इनमें आजम खान पर 80 से ज्यादा और अब्दुल्ला खान पर करीब 40 मुकदमें दर्ज है।

सपा सांसद आजम खान कोरोना से ठीक होने के बाद मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ से सीतापुर जेल में शिफ्ट।
समाजवादी पार्टी के रामपुर से सांसद आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला ने कोरोना संक्रमण को लंबी लड़ाई के उपरांत आखिरकार मात दे दी, जिसके बाद आज उन्हें मेदांता अस्पताल से डिस्चार्ज करके दोबारा सीतापुर जेल में शिफ्ट कर दिया गया। दोनों को जेल में गहन निगरानी में रखा जाएगा। साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी विशेष नजर रखी जाएगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीतापुर जेल में बंद आजम खान को एक मई को कोरोना संक्रमित पाया गया था। इसके बाद उनका जेल में ही इलाज चल रहा था। अचानक तबीयत खराब होने पर नौ मई को उन्हें लखनऊ के मेदांता अस्पताल में शिफ्ट किया गया। सपा सांसद की जिद पर कोरोना संक्रमित उनके बेटे अब्दुल्ला को भी साथ ही शिफ्ट किया गया था। यहां एक दिन बाद यानी दस मई को आजम खान की तबीयत और बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखना पड़ा। सपा सांसद की तबीयत में तेजी से सुधार के बाद उन्हें 17 मई को आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था, लेकिन तबीयत बिगड़ने के बाद 26 मई को दोबारा आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा।
Samajwadi Party leader Azam Khan and his son discharged from Lucknow's Medanta Hospital following COVID19 treatment, to be shifted to Sitapur Jail pic.twitter.com/i0JLx7xEip
— ANI UP (@ANINewsUP) July 13, 2021
रिपोर्ट्स के मुताबिक आजम खान ने कोरोना के खिलाफ करीब 95 दिन लंबी चली लड़ाई के बाद इस मात दे ही दी। उनके बेटे अब्दुला भी कोरोना संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। दोनों को आज मेदांता हॉस्पिटल से एंबुलेंस में सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया।
बता दें कि आजम खान और उनके बेटे पर अलग अलग आरोपों में करीब 120 से ज्यादा मुकदमें दर्ज है। इनमें आजम खान पर 80 से ज्यादा और अब्दुल्ला खान पर करीब 40 मुकदमें दर्ज है। इनमें अधिकतर मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है, लेकिन कई मामलों में जमानत न मिलने के चलते वह जेल में बंद हैं। पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने जल निगम में 1300 पदों पर नियुक्तियों से जुड़े धांधली के मामले भी उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था।