राकेश टिकैत ने 'कॉरपोरेट' पर सवाल उठाए तो लोग करने लगे वाहावाही, विरोधी भी समर्थन में आए, जानिये मामला
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस बार ट्विटर पर ऐसी पोस्ट की है, जिसके बाद विरोधी भी समर्थन में आ गए हैं। लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि जो मांग उठाई गई है, उसे पूरा किया जाना चाहिए। पढ़िये यह रिपोर्ट...

किसान नेता राकेश टिकैत की फाइल फोटो।
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को सोशल मीडिया (Social Media) पर हमेशा आलोचना का शिकार होना पड़ता है, लेकिन इस बार उनकी चौतरफा प्रशंसा हो रही है। दरअसल, टिकैत ने इस बार ऐसा मामला उठाया है, जिसने सब लोगों को उनके समर्थन में आने के लिए मजबूर कर दिया है। चलिए आपको बताते हैं कि राकेश टिकैत ने आखिर कौन से मुद्दा (Issue) उठा दिया, जो विरोधी भी उनके पक्ष में आ गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पेड़ों की कटाई (Deforestation) का मुद्दा उठाया है। उन्होंने ट्वीट करके लिखा, 'छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में लगभग साढ़े चार लाख पेड़ काटे जा रहे है।' उन्होंने आरोप लगाया कि कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने के लिये सरकारें पर्यावरण से छेड़छाड़ कर रही हैं। इसका सीधा असर जल, जंगल, जमीन पर होगा। उन्होंने आगे लिखा, 'हसदेव अरण्य आंदोलन के साथ पूरा देश खड़ा हुआ है।' राकेश टिकैत की इस पोस्ट को सोशल मीडिया यूजर्स बेहद सराहा रहे हैं और साथ ही सरकार से मांग कर रही है कि हमें जिंदगी देने वाले पेड़ों पर कुल्हाड़ियां नहीं चलनी चाहिए।
छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में लगभग साढ़े चार लाख पेड़ काटे जा रहे है कॉरपोरेट को फायदा पहुँचाने के लिये सरकारे पर्यावरण से छेड़छाड़ कर रही हैं जिसका सीधा असर जल ,जंगल,जमीन पर होगा।
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) May 9, 2022
हसदेव अरण्य आंदोलन के साथ पूरा देश खड़ा हुआ है!@TribalArmy @ANI @SudarshanNewsCG@IBC24News pic.twitter.com/pTGHh4JDp2
जानिये किसने क्या कहा?
ट्विटर यूजर हंसराज मीना ने लिखा, 'छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने खनन के लिए वन स्वीकृति देकर आदिवासी जीवन और लाखों पेड़ों को तबाह करने का निर्णय लिया है। संविधान की पांचवी अनुसूची तक का ध्यान नहीं रखा। यह अदानी, मोदी और स्वयं को लाभ पहुंचाने का खेल है, लेकिन सारा देश देख रहा है। सनद रहें।'
यूजर एसपी स्वामीनाथन ने कहा, 'सरकार के लिए लोगों का कल्याण करने की बजाय कॉरपोरेट्स को लाभ पहुंचाना चाहती है तो जान लें कि सरकार को लोगों से वोट मिले हैं न कि कॉरपोरेट्स से। अगर सरकार लोगों के खिलाफ जाती है तो लोग सरकार के साथ कैसे खड़े होंगे? लोग अंत में जीतेंगे'
आशीष नामक यूजर ने लिखा, 'एक सरल सी बात समझाने के लिए आदिवासियों को अपनी कई पीढ़ी कुर्बान करनी पड़ी है...उन्हें आज आपके मजबूत हाथ की जरूरत है, अपने हाथ बढ़ा दीजिये प्लीज।' इसी प्रकार अन्य तमाम यूजर्स भी छत्तीसगढ़ में पेड़ों की कटाई पर अपने तरीके से गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।