Rajasthan: राजस्थान में डॉक्टर्स का राइट टू हेल्थ बिल पर विरोध जारी, 29 मार्च को मेडिकल शटडाउन का किया ऐलान
Right to Health Bill: राजस्थान में डॉक्टर्स का राइट टू हेल्थ बिल को लेकर विरोध जारी है। वहीं, अब डॉक्टर्स 27 मार्च को बड़ी रैली निकालने की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर डॉक्टर्स ने 29 मार्च को एक मेडिकल शटडाउन का किया ऐलान भी किया है।

Rajasthan Right to Health Bill: राजस्थान में डॉक्टर्स का राइट टू हेल्थ बिल को लेकर विरोध जारी है। वहीं, अब डॉक्टर्स 27 मार्च को बड़ी रैली निकालने की तैयारी कर रहे हैं। इसको लेकर डॉक्टर्स ने 29 मार्च को एक मेडिकल शटडाउन का किया ऐलान भी किया है। अब इस आंदोलन में निजी डॉक्टर्स को सरकारी चिकित्सकों का साथ भी मिल रहा है। सरकारी डॉक्टर्स का नेतृत्व करने वाली संस्था अखिल भारतीय सेवारत चिकित्सक संघ ने इसको लेकर एक दिन का सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टर्स के काम नहीं करने के कारण मरीजों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके साथ ही रेजिडेंट डॉक्टर्स को मनाने के लिए जयपुर एसएमएस के बड़े डॉक्टर्स ने भी प्रयास करना शुरू कर दिए हैं। वहीं, इस बिल के विरोध में 27 मार्च को डॉक्टर्स जयपुर में एक महारैली का आयोजन करने जा रहे हैं, जबकि 29 मार्च को डॉक्टरों ने सामूहिक अवकाश पर जाने का फैसला किया है।
अखिल भारतीय सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष अजय चौधरी ने बताया कि हम हर दिन दो घंटे का कार्य बहिष्कार आगे भी जारी रखेंगे। इसके साथ ही 29 मार्च को प्रदेशभर में एक दिन का सामूहिक अवकाश की चेतावनी दी है। वहीं, अगर सभी डॉक्टर्स अवकाश पर गए, तो 29 मार्च को मरीजों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस दिन प्रदेशभर की पीएचसी, सीएचसी, उप जिला अस्पतालों में मरीजों को नहीं देखा जाएगा।
बता दें कि इस राइट टू हेल्थ बिल को लेकर डॉक्टर्स को बहुत आपत्तियां हैं। जानकारी के मुताबिक, इस बिल में आपात स्थिति में प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों को मुफ्त इलाज कराना है। वहीं, डॉक्टरों का कहना है कि ये आपात स्थिति क्या है बिल में ठीक से स्पष्ट नहीं किया गया है।
राइट टू हेल्थ के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति गंभीर स्थिति में बीमारी से ग्रसित है और मरीज को बड़े अस्पतालों में रेफर करने की जरूरत पड़ती है तो हॉस्पिटल को एंबुलेंस की सुविधा देनी होगी, लेकिन डॉक्टरों का कहना है अगर एंबुलेंस की खर्च अस्पतालों को देना है तो वो खर्चा कौन उठाएगा। बिल में इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है। प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि इस बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं, जो उनके हितों के खिलाफ है और उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं।

Naveen Prajapati
नवीन प्रजापति, हरिभूमि वेबसाइट में सब-एडिटर के पद पर कार्यरत हैं। पिछले 8 वर्षों से मीडिया क्षेत्र (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल) में काम कर रहे हैं। मूलरूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा करने के बाद अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2015 में इंडिया न्यूज (हरियाणा) से की। इसके बाद दिल्ली में कई न्यूज वेबसाइट के लिए 4 साल तक कार्य किया। साल 2021 में बतौर कंटेंट राइटर हरिभूमि के Janta Tv में कार्य किया। फिर साल 2022 में पीआर एजेंसी में बतौर कंटेंट राइटर सेवा दी। अब दिसंबर 2022 से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। खेल-कूद, लिखना और पढ़ना पसंद है। राजनीति में खास दिलचस्पी है। देश-दुनिया और राजनीति की लेटेस्ट खबरों, विश्लेषण, इनसाइड स्टोरी और अपडेट्स के लिए नवीन को फॉलो करें…