राष्ट्रपति ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिलने से किया इंकार, सीएम ने की राजघाट पर धरना देने की घोषणा
केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि विधेयकों का मामला थमने के बजाए और बढ़ता जा रहा है। किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन करने में जुटे हैं जिसकी वजह से उन्होंने रेल रोको आंदोलन छेड़ रखा है इन प्रदर्शनों का नतीजा यह हो रहा है कि राज्य में मालगाड़ियों का परिचालन ठप हो गया है जिसकी वजह से राज्य में गंभीर संकट पैदा हो रहे हैं।

अमरिंदर राजघाट धरना
चंडीगढ़। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि विधेयकों का मामला थमने के बजाए और बढ़ता जा रहा है। किसान इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन करने में जुटे हैं जिसकी वजह से उन्होंने रेल रोको आंदोलन छेड़ रखा है इन प्रदर्शनों का नतीजा यह हो रहा है कि राज्य में मालगाड़ियों का परिचालन ठप हो गया है जिसकी वजह से राज्य में गंभीर संकट पैदा हो रहे हैं। इस मामले को निपटाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से चार नवंबर को मिलने का समय मांगा था परन्तु राष्ट्रपति ने बैठक का समय नहीं दिया। इसीलिए राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद के पंजाब के शिष्टमंडल से मिलने के लिए समन नहीं देने के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में धरना देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह राजघाट पर राज्य के विधायकों के एक दिन के धरने का नेतृत्व करेंगे। यह धरना केंद्र सरकार द्वारा राज्य में मालगाडि़यों का परिचालन बंद करने के विरोध में दिया जाएगा।
मालगाडि़यां बंद रहने से राज्य में थर्मल पावर प्लांटों को कोयले की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इससे बिजली उत्पादन ठप हो गया है। इसके साथ ही राज्य में जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही पंजाब से सब्जियों और अनाज की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है। इसकी संबंध में ही राज्य का शिष्टमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद से मिलना चाहता था, लेकिन इसके लिए समय नहीं मिला। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि राज्य की हालत की ओर ध्यान दिलाने के उद्देश्य से दिल्ली में राजघाट पर एक दिन के सांकेतिक धरना देने का फैसला किया गया है। वह सुबह 10.30 बजे धरने में पहले बैच का नेतृत्व करेंगे। कैप्टन अमरिंदर ने अन्य पंजाब पार्टियों के विधायकों से भी राज्य के हित में धरने में शामिल होने की अपील की।