विद्युतकर्मियों ने किया निजीकरण का विरोध, कैंडल मार्च निकालकर दी कामबंदी की चेतावनी
आंदोलनरत अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि यदि निजीकरण हुआ तो बिजली की कीमतों में इजाफा होगा, जिसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा। पढ़िए पूरी खबर-

डबरा। पॉवर इंजीनियर एवं एम्पलाइज एसोसिएशन के बैनर तले विद्युतकर्मियों ने कैंडल मार्च निकालकर संविधान के नियमों के तहत समानता के अधिकार की मांग की। उनका कैंडल मार्च विद्युत मंडल के डीजीएम कार्यालय से निकला और मुख्य मार्ग पर जाकर समाप्त हुआ। इस दौरान विद्युत कर्मियों ने जमकर नारेबाजी की और कहा कि हम 1 फरवरी से लगातार आंदोलनरत हैं पर हमारी मांग अभी तक नहीं मानी गई है।
अधिकारियों का कहना है कि हम पंद्रह सूत्रीय माँगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से कंपनी द्वारा नियुक्त अधिकारियों कर्मचारियों को प्रशिक्षण अवधि में वेतन वृद्धि की जाए, कर्मचारियों को सातवें वेतनमान का लाभ मिले, कंपनी कर्मियों को विद्युत देयक में 50 परसेंट की छूट दी जाए, इंश्योरेंस पॉलिसी, राजस्व वसूली के लिए एक अतिरिक्त तहसीलदार की प्रत्येक वृत में पदस्थापना की जाए, साथ ही ग्रेच्युटी एक्ट का विकल्प चुनने का अधिकार प्रदान किया जाये तथा तकनीकी कार्यों हेतु प्राधिकृत कर्मचारियों की भर्ती सहित कई मांगे हैं।
अधिकारियों का साफ तौर पर कहना है कि यदि निजीकरण हुआ तो बिजली की कीमतों में इजाफा होगा, जिसका बोझ आम जनता पर पड़ेगा। कैंडल मार्च में डीई एस.पी सिंघारिया, एई आसिफ इकबाल, एई पीयूष दिलोदरे, नितीश सिंह, कमलेश बेरवाल, आदित्य यादव, रामबालक आदिवासी, वीरेंद्र धुर्वे, एच.सी लख़ोरे सहित सैकड़ों विद्युत कर्मी शामिल रहे। एसपी सिंघारिया (डीई विद्युत वितरण कंपनी डबरा शहर) का कहना है कि अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर हम 1 फ़रवरी से शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया है। अगर शीघ्र ही मांगों का निराकरण नहीं किया गया तो समस्त कर्मचारी शांतिपूर्ण ढंग से अपने कार्य से विमुक्त होकर आंदोलन करेंगे।