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भाजपा के इस कार्यक्रम के जवाब में कांग्रेस जबलपुर में जनजातीय सम्मेलन कर दिखाएगी ताकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को प्रदेश भाजपा द्वारा आयोजित जनजातीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आ रहे हैं। इस कार्यक्रमें ढाई लाख आदिवासियों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।कांग्रेस ने इसके जवाब में जबलपुर में ताकत दिखाने का निर्णय लिया है। 15 को ही कांग्रेस यहां जनजातीय सम्मेलन करेगी और शक्ति प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस ने सम्मेलन का प्रभारी पूर्व मंत्री तरुण भनोट को बनाया है।

भाजपा के इस कार्यक्रम के जवाब में कांग्रेस जबलपुर में जनजातीय सम्मेलन कर दिखाएगी ताकत
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भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 नवंबर को प्रदेश भाजपा द्वारा आयोजित जनजातीय सम्मेलन में हिस्सा लेने भोपाल आ रहे हैं। इस कार्यक्रमें ढाई लाख आदिवासियों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।प्रदेश की भाजपा सरकार इस अवसर पर आदिवासियों के लिए कई घोषणाएं करने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री मोदी विश्वस्तरीय हबीबगंज रेल्वे स्टेशन के लोकार्पण के साथ अन्य कई कार्यक्रमों का शुभारंभ भी करेंगे। कांग्रेस ने इसके जवाब में जबलपुर में ताकत दिखाने का निर्णय लिया है। 15 को ही कांग्रेस यहां जनजातीय सम्मेलन करेगी और शक्ति प्रदर्शन करेगी। कांग्रेस ने सम्मेलन का प्रभारी पूर्व मंत्री तरुण भनोट को बनाया है। कांग्रेस के सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ सहित प्रमुख आदिवासी नेता एवं कांग्रेस नेता शामिल होंगे।

विधानसभा से शुरू हुई आदिवासियों पर सियासत

कांग्रेस और भाजपा के बीच आदिवासियों पर सियासत विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान शुरू हुई थी। तत्कालीन कमलनाथ सरकार द्वारा विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को शुरू किया गया अवकाश प्रदेश की भाजपा सरकार ने इस साल रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं, कमलनाथ सरकार इस दिन आदिवासी अंचलों में कार्यक्रमों के आयोजन के लिए जो राशि आवंटित की थी, वह भी निरस्त कर दी गई थी। कांग्रेस ने इसका जबरदस्त विरोध किया था और भाजपा को आदिवासी विरोधी ठहराया था। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान किया था कि 15 नवंबर को आदिवासी शहीद बिरसा मुंदा के जन्मदिन पर प्रदेश में बड़ा आयोजन किया जाएगा। इसी के तहत भोपाल में कार्यक्रम आयोजित कर प्रधानमंत्री मोदी को बुलाया गया है। सरकार ने 15 नवंबर को एच्छिक अवकाश भी घोषित किया है।

आदिवासियों को आकर्षित करने की लड़ाई

भाजपा और कांग्रेस के बीच यह लड़ाई आदिवासी वर्ग को अपने पाले में लाने के लिए है। कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 में से 30 से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता भाजपा से छीन ली थी जबकि लंबे समय से भाजपा ही ज्यादा सीटों पर जीतती रही है।

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