Gwalior Assembly : क्या इस बार ग्वालियर के किले को भेद पाएगी कांग्रेस?

- Gwalior Assembly : मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावोें में कुछ ही महीनों का वक्त बचा हुआ है। बीजेपी-कांग्रेस ने सत्ता हांसिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना शुरू कर दिया है। प्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों पर दोनों प्रमुख दल एक्टिव हो गए हैं।
आज हम बात करने वाले है ग्वालियर विधानसभा की, जहां से वर्तमान में भाजपा के विधायक प्रद्युम्न सिंह तोमर है। तोमर यहां से तीसरी बार के विधायक है। यह वही विधानसभा क्षेत्र है जिसमें कई बड़े राजनेताओं को बनते और बिगड़ते देखा है। 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी, कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी समेत अन्य दलों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है।
ग्वालियर से भाजपा विधायक प्रद्धुम्न सिंह तोमर साल 2008 में कांग्रेस से विधायक चुने गए थे। इसके बाद वह 2018 में कांग्रेस के टिकट से फिर से विधायक बने। इसके बाद 2020 के उपचुनाव में फिर से चुनाव जीते और कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। प्रद्धुम्न सिंह तोमर केंन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबियों में से एक माने जाते है।
क्षेत्र का जातिगत समीकरण
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा ब्रह्म्ण वोटरों की सख्ंया हैं। यहां करीब 30 से 34 हजार ब्राह्म्ण, 28 हजार ठाकुर, 24 हजार कुर्मी, 16 हजार मुस्लिम और 20 हजार वैश्य है।
क्या कहते है विधायक जी
ग्वालियर से भाजपा विधायक प्रद्धुम्न सिंह तोमर का कहना है कि महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के आशीर्वाद से मेरी जीत होती रही है। क्षेत्र में पार्टी का नेटवर्क महबूत होने का मुझे लाभ मिला है। तोमर का कहना है कि वह क्षेत्रिय लोगों से जमीन से जुड़े है। जनता ही मेरे लिए जनार्दन है। इसलिए में मतदाताओं को सिर माथे पर लेकर चलता हूं।
कांग्रेस का क्या कहना?
2020 के उपचुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े सुनील शर्मा का कहना है कि मैं कांग्रेस पार्टी का आभारी हूं कि पार्टी ने मुझे उपचुनाव लड़ने का मौका दिया। वही क्षेत्र की जनता ने भी मुझे भरपूर आशीर्वाद दिया। मुझे पूरी उम्मीद है कि इस बार भी जनता कांग्रेस का समर्थन करेगी। उपचुनाव के बाद मतदाताओं के लिए कोई सकारात्मक परिणाम दिखा नहीं है। इस बार मतदाता सरकार बदलने का मन बना रहे है।