Sunday Special: कोरोना काल में युवाओं की पसंद बन रही खेती, जानिए वजह...
Sunday Special: देश में कोरोना के बढ़ते मामलों से सभी लोग परेशान हैं। आलम यह है कि कोरोना (Corona) के इस दौर में लोगों को नौकरी (Job) मिलना भी कठिन हो गया है। काफी नौकरी खोजने के बाद भी नौकरी नहीं मिलने पर युवाओं ने खुद खेती करने की ठान ली।

प्रतीकात्मक तस्वीर
Sunday Special: देश में कोरोना के बढ़ते मामलों से सभी लोग परेशान हैं। आलम यह है कि कोरोना (Corona) के इस दौर में लोगों को नौकरी (Job) मिलना भी कठिन हो गया है। काफी नौकरी खोजने के बाद भी नौकरी नहीं मिलने पर युवाओं ने खुद खेती करने की ठान ली। हिमाचल प्रदेश के युवा कोरोना काल में खेती बाड़ी की ओर आकर्षित हो गए हैं।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के युवा गेहूं, मक्का, बाजरा, चना, स्ट्रॉबेरी (Strawberry) व बागवानों की तरफ रूख कर रहे हैं। वहीं कुछ युवा जैविक खेती की तरफ भी रूख कर रहे हैं। अभी पिछले दिनों हमीरपुर के एक युवा को जब नौकरी नहीं मिली तो उसने जैविक तरीके से स्ट्रॉबेरी की खेती करना शुरू कर दिया। इस युवक ने जैविक खेती से काफी रुपये भी कमाएं हैं।
आपको बात दें कि इस युवा का नाम लखनपाल है। वहीं इसकी उम्र महल 21 साल है। लखनपाल को जब नौकरी नहीं मिली तो उसने अपनी कठिन मेहनत से जैविक खेती की। उसकी यह मेहनत भी रंग लाई। स्ट्रॉबेरी की खेती करके लखनपाल युवाओं के लिए एक मिशाल बन गए हैं।
वहीं प्रदेश के कुछ युवा हरी सब्जी भी उगा रहे हैं। कई युवा घिया, तोरई, गोभी, टमाटर, आलू व अन्य सब्जियां उगा रहे है। युवा सब्जियों से भी खुब कमाई कर रहे हैं। कोरोना की मार से एक तरफ जहां कंपनियां घाटे में चल रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर युवा खेती करने को मजबूर हैं।
आपको बता दें कि हिमाचल के लाहौल स्पीति जिले का आलू पूरे देश में फेमस है। इस बार कोरोना में नौकरी नहीं मिलने पर यहां के युवाओं ने भी आलू की खेती की है। लाहौल-स्पीति के किसानों को कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी ज्योति और कुफरी हिमानी प्रजाति 4000 रुपए प्रति क्विंटल, सन्थाना 2800 रुपये प्रति क्विंटल, जबकि खाने के लाल आलू की कीमत 2400 रुपये तय है। इस बार युवाओं ने आलू की खेती करके खूब धन कमाया हैं।