हिमाचल न्यूज: पौने 3 लाख खर्च होने के बावजूद जान हथेली पर रख नदी पार करते हैं लोग
गिरी नदी के किनारे बसे सबसे बड़े गांव सींऊ के ग्रामीण दोनों रज्जू मार्ग खराब होने से जान हथेली पर रखकर नदियां पार कर रहे हैं। दरअसल गिरी व पालर नदी के बीच बसे इस गांव के लोगों के लिए बरसात में यातायात का प्रमुख साधन दोनों नदियों पर बने रज्जू मार्ग अथवा झूले है।

गिरी नदी के किनारे बसे सबसे बड़े गांव सींऊ के ग्रामीण दोनों रज्जू मार्ग खराब होने से जान हथेली पर रखकर नदियां पार कर रहे हैं। दरअसल गिरी व पालर नदी के बीच बसे इस गांव के लोगों के लिए बरसात में यातायात का प्रमुख साधन दोनों नदियों पर बने रज्जू मार्ग अथवा झूले है। गत वर्ष इन दोनों रज्जू मार्ग की मरम्मत पर बीडीओ संगड़ाह के माध्यम से 2 लाख 80 हजार का बजट खर्च हो चुका है।
मगर एक साल के भीतर ही झूले फिर से खराब होने से इस सरकारी निर्माण कार्य पर सवाल खड़े हो गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार रज्जू मार्गों की गरारियां अथवा बैरिंग खराब होने से झूले बीच नदी में जाकर रुक जाते हैं। डेम के डूब क्षेत्र में आने वाले इस गांव की भूमि अधिग्रहण करने के सरकार द्वारा करीब 80 लाख का भुगतान किया जा चुका है।
नियमानुसार यहां पुल बनाने जैसा निर्माण कार्य भी नहीं हो सकता। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन तथा नेताओं से गांव के दोनों और लगे रज्जू मार्ग की मरम्मत की मांग की है। करोड़पतियों का गांव कहलाने वाले सीऊं के लोग अब तक सीएम व पीएम कोविड-19 कोष में करीब एक लाख की राशि जमा करवा चुके हैं, मगर विडम्बना यह है कि, महज पांच हजार की मुरम्मत का काम लम्बित हैं।