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बड़ी खबर: आईजीएमसी शिमला एंटीबॉडी के लिए 500 हैल्थ वर्कर्स के सैंमल टेस्ट कराएगा

हिमाचल प्रदेश का आईजीएमसी प्रशासन भी अब टांडा अस्पताल की तरह एंटीबॉडी टेस्ट करवाएगा, ताकि पता चले सके कि उनके यहां कितना स्टाफ में कोविड से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन चुका है। इसके लिए करीब 500 हैल्थ वर्कर्स के सैंमल लेकर टेस्ट कराए जाएंगे।

आईजीएमसी शिमला एंटीबॉडी के लिए 500 हैल्थ वर्कर्स के सैंमल टेस्ट कराएगा
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फाइल फोटो

हिमाचल प्रदेश का आईजीएमसी प्रशासन भी अब टांडा अस्पताल की तरह एंटीबॉडी टेस्ट करवाएगा, ताकि पता चले सके कि उनके यहां कितना स्टाफ में कोविड से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन चुका है। इसके लिए करीब 500 हैल्थ वर्कर्स के सैंमल लेकर टेस्ट कराए जाएंगे। इसमें उन डिपार्टमेंट्स के स्टाफ को लिया गया है, जो कोविड के इस दौर में सबसे ज्यादा एक्सपोज होते हैं। इन डिपार्टमेंट्स में सर्जिकल, ऑर्थो, ईएनटी, मेडिसिन, गायनी समेत आपातकाल में ड्यूटी निभाने वाले डाक्टरों, नर्सेज समेत अन्य मेडिकल स्टाफ के एंटीबॉडी टेस्ट लिए जाएंगे।

इस टेस्ट में केवल यह देखा जाएगा कि जब से अस्पताल खुला है, तब से लेकर आजतक कितने स्टाफ के सदस्य कोविड से संक्रमित होकर खुद ही ठीक हो चुके हैं और इनमें एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। गौरतलब है कि अभी हाल ही में टांडा मेडिकल कालेज में भी इस तरह के टेस्ट करवाए गए थे। यहां पर 11 प्रतिशत स्टाफ में एंटीबॉडी पाए गए हैं। इसमें 53 डाक्टर ही हैं,जबकि अन्य स्टाफ के सदस्य भी इसमें शामिल हैं। ये सब वे लोग थे, जिन्हें पता ही नहीं चला कि कब उन्हें कोरोना हुआ और कब वे कोविड से ठीक भी हो गए।

अब आईजीएमसी में भी यह सब ही देखा जाएगा, क्योंकि आईजीएमसी में पूरे प्रदेश भर से मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में यहां पर मेडिकल स्टॉफ के संक्रमित होने का खतरा ज्यादा बना रहता है, क्योंकि कई मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें पहले डाक्टर चैक कर चुके होते हैं, लेकिन बाद में जब उनका कोविड टेस्ट होता है, तो वे पॉजिटिव निकलते हैं। ऐसे में डाक्टरों के संक्रमित होने का खतरा बना रहता है। आईजीएमसी में भी 25 के करीब डाक्टर कोविड से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि अन्य कई स्टाफ भी संक्रमित हुआ है। रोजाना आईजीएमसी में स्टाफ का कोई न कोई सदस्य कोविड से ग्रसित निकलता है।

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