हिमाचल प्रदेश: देवभूमि के मंदिरों में 6 महीने बाद लौटी रौनक, कपाट खुलते ही खिल उठे भक्तों के चेहरे
हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल के बीच अब फिर से प्रदेश के मंदिरों में रौनक लौट आई है। करीब छह महीने के बाद सूबे के मंदिरों के कपाट फिर से खुल गए हैं।

हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल के बीच अब फिर से प्रदेश के मंदिरों में रौनक लौट आई है। करीब छह महीने के बाद सूबे के मंदिरों के कपाट फिर से खुल गए हैं। हालांकि, मंदिरों में ज्यादा भीड़ नहीं है। जानकारी मिली है कि काफी कम लोग दर्शनों के लिए पहुंचे हैं, लेकिन नियम-शर्तों और एहतियात के साथ शक्तिपीठों के कपाट खोले गए हैं।
बता दें कि कांगड़ा में चार बड़े शक्तिपीठ हैं। इनमें बज्रेश्वरी धाम, चामुंडा धाम, ज्वालाजी धाम और बगुलामुखी मंदिर के कपाट खुल गए हैं। इन मंदिरों को नियम और शर्तों के साथ खोला गया है। मास्क और सेनिटाइजर के बग़ैर एंट्री नहीं मिल रही है। बिना पर्ची के एंट्री नहीं मिल रही है। चामुंडा धाम में एंट्री के लिये अलग रास्ता बनाया गया है। बैजनाथ-महाकाल में एक-एक कर दर्शन करवाये जा रहे है। किसी भी श्रद्धालु को गर्भ गृह में जाने की अनुमति नहीं है।
मंदिर सुबह नौ से पांच बजे तक खोले जाएंगे। वहीं, मंदिर के रजिस्टर में हर यात्री का मोबाइल नम्बर और नाम दर्ज किया जा रहा है। इसके अलावा मंदिर परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग के गोले और हर श्रद्धालु की थर्मल स्कैनिंग हो रही है। कुल्लू ज़िला में भी मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं।
5 माह के बाद मंदिर खुलने से श्रद्धालुओं में खुशी की लहर है। प्रसिद्ध भगवान रघुनाथ मंदिर में विधिवत हार श्रृंगार और पूजा-अर्चना की गई है। सोशल डिस्टनसिंग के साथ मंदिर में श्रद्धालु पूजा करते नजर आए और आरती में भी भाग लिया।
बिलासपुर में विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी में माताजी के द्वार दर्शनार्थ के लिए खुल गए हैं। सुबह की आरती के साथ मंदिर खुला है। मुख्य पुजारी अमित शर्मा ने पूजा की। यहां 6 महीने से बंद शहर की दुकानें भी खुल गई हैं और दुकानदार एवं व्यापारियों को आस है कि फिर से जिंदगी पटरी पर लौटेगी।
मंदिर में पंजाब-हरियाणा-दिल्ली यूपी-बिहार और अन्य प्रदेशों के श्रद्धालुओं को ई-रजिस्ट्रेशन के माध्यम से अनुमति लेकर आना पड़ेगा। एक दिन में लगभग 1000 श्रद्धालुओं को अनुमति प्रदान की जाएगी। श्री नैना देवी मंदिर में मुख्य द्वार के पास टच-फ्री सैनिटाइजर मशीनें और टच फ्री हैंड वॉच सिस्टम लगाया गया है। श्रद्धालु के आने जाने के लिए अलग-अलग रास्ते हैं और मंदिर के गर्भगृह में मात्र 1 मिनट के लिए ही श्रद्धालु रुक सकते हैं।
डीसी ऊना संदीप कुमार ने बताया कि चिकित्सीय परीक्षण के बाद केवल एसिम्टोमैटिक श्रद्धालु ही मंदिर परिसर में जा सकेंगे, जबकि फ्लू जैसे लक्षणों वाले श्रद्धालुओं को अस्पताल में आइसोलेट किया जाएगा और उनकी कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही मंदिर के अंदर जाने की अनुमति होगी।
सभी श्रद्धालुओं को अनिवार्य रूप से आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना होगा। श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य संबंधी परीक्षण के लिए उन्हें नए बस अड्डा के समीप चिंतपूर्णी सदन अथवा प्राधिकृत क्षेत्र में पंजीकरण एवं चिकित्सीय परीक्षण हेतु संपर्क करना होगा। एक दिन में केवल पांच भक्तों की एंट्री होगी।