अमित शाह और मनोहर लाल की मुलाकात के बाद हरियाणा में क्या राजनीतिक बदलाव होगा ? यहां पढें
गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मुलाकात रविवार को एक लंबे समय बाद हुई है। दोनों ही कोरोना के चलते उपचाराधीन थे और स्वस्थ हुए हैं। दोनों के उपचाराधीन रहते हरियाणा व देश में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलाव हुआ है। विवादित तीन कृषि अध्यादेश, पिपली में किसान आंदोलन और लाठचार्ज के बाद पंजाब में आंदोलन के बाद अब अकाली दल भी एनडीए से अलग हो चुका है। ऐसे में दोनों की मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाला जाना निश्चित ही है

धर्मेंद्र कंवारी. रोहतक
गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की मुलाकात रविवार को एक लंबे समय बाद हुई है। दोनों ही कोरोना के चलते उपचाराधीन थे और स्वस्थ हुए हैं। दोनों के उपचाराधीन रहते हरियाणा व देश में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदलाव हुआ है। विवादित तीन कृषि अध्यादेश, पिपली में किसान आंदोलन और लाठचार्ज के बाद पंजाब में आंदोलन के बाद अब अकाली दल भी एनडीए से अलग हो चुका है। ऐसे में दोनों की मुलाकात के राजनीतिक मायने निकाला जाना निश्चित ही हैलेकिन सूत्रों के अनुसार ये मुलाकात महज एक मुलाकात ही थी। जाहिर तौर पर दोनों की मुलाकात में राजनीतिक मसलों पर चर्चा हुई होगी लेकिन तत्काल प्रदेश में बदलाव होने के बेहद कम आसार हैं। पहले सरकार को बरौदा उपचुनाव में उतरना है और इसके बाद ही कुछ हो सकेगा। वैसे मुख्यमंत्री ने करीब पंद्रह दिन पहले ही गृहमंत्री से मिलने के लिए समय मांगा हुआ था लेकिन स्वास्थ्यगत कारणों से वे समय नहीं दे पा रहे थे। शनिवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात हो गई थी लेकिन गृहमंत्री अमित शाह से मिलने का वक्त कंफर्म नहीं हुआ था इसलिए उन्होंने वहीं रूकने का फैसला किया था। रविवार को उनकी ये इच्छा भी गृहमंत्री अमित शाह ने पूरी कर ही दी।
जब बदलाव होगा, इस तरह का होगा
हरियाणा सरकार में मंत्रीमंडल विस्तार और बदलाव पर काफी लंबे समय से चर्चा चल रही हैं। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जेजेपी कोटे से एक और मंत्री बनवाना चाहते हैं ताकि उनकी अपनी पार्टी में असंतोष को रोका जा सके। ये भी संभव है कि अनूप धानक को ड्राप करके दो नए मंत्री जजपा कोटे से बनें लेकिन ये देखने वाली बात होगी कि ये नए दो कौन होंगे क्योंकि असंतोष में उनके सात विधायक हैं। इसी तरह भाजपा कोटो से भी एक मंत्री पद खाली है लेकिन बरौदा उपचुनाव से पहले इस सीट को भरा जाना मुश्किल है क्योंकि बरौदा के लोगों को भी ये उम्मीद दिखाई देते रहना जरूरी है कि उनके यहां से बनने वाला विधायक अगला मंत्री भी हो सकता है। इसके साथ ही पहले से ही नियुक्त दो मंत्रियों को बदलकर उनकी जगह दो नए चेहरे लाने की चर्चाएं हैं लेकिन फिलहाल ये बदलाव के लिए भी इंतजार ही करना होगा।
हरियाणा को चुनाव से दिक्कत नहीं
चुनाव आयोग ने बरोदा उपचुनाव को लेकर कोई तिथि नहीं दी है लेकिन उम्मीद की जा रही है कि 29 सितंबर को यह फैसला भी हो जाएगा। हरियाणा के चुनाव आयोग ने भी ऐसा कोई पत्र नहीं लिखा है कि वो कोरोना के चलते चुनाव करवाने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में केंद्रीय चुनाव आयोग के सामने भी हरियाणा में चुनाव करवाने में कोई दिक्कत नहीं है और जल्द ही बरौदा उपचुनाव की तिथि घोषित होगी।