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बारिश का पानी संरक्षण के लिए इस विद्यालय ने शुरू की अनूठी पहल

बवानी खेड़ा के राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या संतोष भाकर द्वारा अलग हटकर योजना बनाई,जिससे विभाग के आदेशों की पालना के साथ साथ बारिश के पानी का संग्रहण भी मजबूती से होगा।

बारिश का पानी संरक्षण के लिए इस विद्यालय ने शुरू की अनूठी पहल
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 सुराख वाले ड्रम के चारों तरफ ईंट व पत्थर डालते विद्यार्थी, पानी रिचार्ज के लिए लगाया गया सिस्टम।

दीपक कुमार डूमड़ा : बवानीखेड़ा

शिक्षा विभाग द्वारा दिए गए जल शक्ति अभियान के तहत जल संरक्षण को लेकर बवानी खेड़ा के राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या संतोष भाकर द्वारा अलग हटकर योजना बनाई,जिससे विभाग के आदेशों की पालना के साथ साथ बारिश के पानी का संग्रहण भी मजबूती से होगा। प्रधानाचार्या द्वारा एक ड्रम की व्यवस्था करके उसमें अनेक सुराख करवाकर व उसमें सबसे उपर पाइप लगवाकर इसे गड्ढा खुदवाकर जमीन में गड़वाया गया और इसके चारों तरफ ईंट, रोड़ी, पत्थर लगवा दिए और छत के पाइप का इससे जुड़ाव करवा दिया जिससे बारिश का पानी छत से होता हुआ इसमें जाएगा और वह सारा पानी बाहर खराब न होकर जमीन की सतह में बैठ जाएगा, जिससे जल का बचाव होगा और जल स्तर नीचे नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे जल का बचाव होगा।

कैसे बनाया जाता ड्रम से पानी नीचे उतारने का सिस्टम

एक प्लास्टिक के ड्रम के उपर एक दो इंची पाइप के लिए सुराख किया जाता है और उसमें प्लास्टिक का ही पाइप लगा दिया जाता है। उस पाइप को छत से आने वाले पाइप से जोड़ दिया जाता है। इसके अलावा ड्रम के चारों तरफ आधा इंची साइज के करीब 100 के आसपास सुराख किए जाते है। छिद्र वाले ड्रम को जमीन में गड्ढा खोदकर दबा दिया जाता है। उस ड्रम के चारों तरफ इंर्टें लगाकर मिट्टी डाली जाती है। जब भी बारिश का पानी छत से पाइप के जरिए ड्रम में पहुंचता है तो सुराखों के माध्यम से पानी धीरे.धीरे जमीन में जाने लगता है। इसी तरह पानी जमीन का रिचार्ज हो जाता है। उल्लेखनीय है कि भूमिगत पानी के रिर्चाज के प्रति सरकार गंभीर है। सरकार ने प्रत्येक विभाग को भूमिगत पानी को रिचार्ज करने के लिए सिस्टम लगाने के निर्देश दिए है। वहीं इस कार्य में डीपीई देवेन्द्र, प्रवक्ता सत्यवान यादव, एबीआरसी राज कुमारी, सोनू, रमेश कुमार, आनंद कुमार सहित स्टाफ व अनेक विद्यार्थियों में इस कार्य में सहयोग करते हुए इस कार्य को अमलीजामा पहनाया। वहीं खंड शिक्षा अधिकारी सुखपाल सिंह ने भी विद्यालय प्रधानाचार्या संतोष भाकर सहित पूरे स्टाफ की जमकर तारीफ की।

दूसरों के लिए भी बने प्रेरणा के स्रोत

स्कूल में बनाए गए पानी स्टोरेज सिस्टम को देखने के लिए हर कोई लालायित है। चूंकि स्कूल प्रशासन द्वारा पहला ऐसा सिस्टम बनाया है। जिस पर नाममात्र खर्च आया और कार्य कई वर्षों तक करता रहेगा। स्कूल प्रशासन का तर्क है कि हर कोई इसी तरह का सिस्टम तैयार करके भूमिगत पानी को रिचार्ज कर सकता है। साथ में बारिश के पानी की वेस्टेज को रोक सकता है। स्कूल की प्राचार्या संतोष भाकर ने बताया कि वे स्कूल में आने वाले बच्चों को भी बारिश के पानी की वेस्टेज को रोकने व भूमिगत पानी का रिचार्ज करने के लिए प्रेरित करती है। ताकि पानी की बर्बादी को रोका जा सके।

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