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मिसाल : रिटायर्ड कैप्टन ने श्मशान घाट को मंदिर का लुक दिया, हर कोई कर रहा प्रशंसा

कुछ वर्षों पहले लोग श्मशान घाट में जाने से डरते थे और उसके साथ रिहायश करने का तो स्वप्न भी नहीं लेते थे लेकिन समय बदला और बदल गए हालात।

मिसाल : रिटायर्ड कैप्टन ने श्मशान घाट को मंदिर का लुक दिया, हर कोई कर रहा प्रशंसा
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बवानीखेड़ा : गांव बड़सी के रामबाग में फूलों से लबरेज पौधों के साथ तो कैप्टन बलवान सिंह ओला, समाजसेवी प्रदीप ओला व अन्य।

दीपक कुमार डुमड़ा : बवानीखेड़ा

प्रत्येक इंसान स्वर्ग में जाना चाहता है पर मरना कोई नहीं चाहता, बिना अच्छे कर्म किए मीठा फल चाहता है लेकिन अच्छे कर्म नहीं करना चाहता। इंसान को अपनी फितरत बदली होगी तभी धरती पर स्वर्ग होगा।

ये कहना व मानना है गांव बड़सी से आर्मी के पद से सेवानिवृत्त हुए कैप्टन बलवान सिंह ओला का। जिन्होंने अपनी सेवानिवृत्त के बाद समाजसेवा का बीड़ा उठाया और गांव के श्मशान घाट को मंदिर का लुक दे दिया। कुछ वर्षों पहले लोग श्मशान घाट में जाने से डरते थे और उसके साथ रिहायश करने का तो स्वप्न भी नहीं लेते थे लेकिन समय बदला और बदल गए हालात। आज श्मशान घाट के साथ लोगों ने घर बना लिए हैं वहीं रामबाग में भी लोग कई स्थानों पर रहते हुए देखे जाते हैं। लेकिन विरले ही ऐसे श्मशान घाट हैं जो मंदिर का लुक धारण किए हुए हैं। ऐसा ही श्मशान घाट के रूप में एक मंदिर है गांव बड़सी में जिसका नक्शा ही बदल दिया गया है।

चमेली, गेंदें आदि फूलों से लबरेज है श्मशान घाट

अगर बात की जाए तो गांव बड़सी के श्मशान घाट में कैप्टन बलवान सिंह ओला ने अपनी मेहनत के चलते यहां पर चमेली, गेंदे सहित अन्य अनेकों प्रकार के फूलों के पौधे गाए हैं जो अपनी खुशबू से वातावरण को स्वच्छ रखने सहित अपनी खुशबू चारों तरफ बिखेरने का कार्य कर रहे हैं। इनकी सौंधी सौंधी खुशबू सभी को अपनी और खींचने का काम करती है।

रोजाना पांच घंटों तक करते हैं पौधों की सेवा

समाजसेवी प्रदीप ओला की मानें तो कैप्टन बलवान सिंह ओला सुबह चार से 9 बजे तक रोजाना पेड़ पोधों की खुदाई करने के साथ साथ इसको पानी देकर सींचने का कार्य करते हैं। इनके खाद सहित इनको बाड़ लगाना व इनकी देखभाल का कार्य नियमित रूप से किया जाता है। जिससे सभी को प्रेरणा मिलती है।

ग्रामीण करते हैं सहयोग

समाजसेवी प्रदीप ओला ने बताया कि कैप्टन द्वारा किए जा रहे इस कार्य के लिए कोई भी सहायता की जरूरत आन पड़ने पर सभी इनका सहयोग करते है। हालांकि इनके द्वारा समय समय पर जागरूकता अभियान चलाकर पौधारोपण करने बारे भी प्रेरित किया जाता है ताकि कोविड काल में ऑक्सीजन के कराए गए एहसास से सभी को प्रेरित किया जा सके।

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