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सभी शहरों को कचरा मुक्त करना जरूरी

स्वच्छ भारत राष्ट्रीय आंदोलन की सफलता है कि युवा पीढ़ी स्वच्छता अभियान में सहयोग कर रही है, सड़क पर कचरा फेंकने की प्रवृत्ति में कमी आई है। दरअसल स्वच्छता एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का या कुछ लोगों का ही काम नहीं है, बल्कि यह हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला सतत अभियान है, जिसे हमें चलाते रहना है।

सभी शहरों को कचरा मुक्त करना जरूरी
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संपादकीय लेख

Haribhoomi Editorial : स्वच्छ भारत का संकल्प हर भारतीय का होना चाहिए। अपने देश को स्वच्छ, साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए केवल सरकार या सफाई कर्मी ही नहीं बल्कि हर भारतीय का सहयोग जरूरी है। स्वच्छता के प्रति हमेशा सजग रहने वाले महात्मा गांधी की जयंती से ठीक एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'स्वच्छ भारत मिशन-शहरी' और कायाकल्प एवं शहरी सुधार के लिए 'अटल मिशन' के दूसरे चरण की शुरुआत की है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 'स्वच्छ भारत' का सपना था।

गांधी ने स्वच्छता बनाए रखने की शिक्षा प्रदान कर राष्ट्र को एक उत्कृष्ट सन्देश दिया था। 2 अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई। हालांकि यह नई योजना नहीं थी। देश में 1 अप्रैल 1999 से ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम का पुनर्गठन कर पूर्ण स्वच्छता अभियान शुरू किया गया था, जिसे 1 अप्रैल 2012 को तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने निर्मल भारत अभियान (एनबीए) नाम दिया। निर्मल भारत का पुनर्गठन कर ही स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया गया।

नई दिल्ली में राजपथ पर स्वच्छ भारत अभियान का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि "2019 में महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।"यह लक्ष्य तो पूरा नहीं हो सका, आज भी हमारे शहर बहुत गंदे हैं और खुले में शौच से मुक्त नहीं हुए हैं, लेकिन आज एक अक्टूबर 2021 में जब दूसरे चरण की शुरूआत हुई है, तो देश में स्वच्छता के प्रति राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता है, खुले में शौच बंदी की दिशा में देश ने काफी प्रगति की है। डा. भीमराव आंबेडकर भी शहरों में स्वच्छता और बेहतर जीवन स्तर के हिमायती थे। बाबासाहेब का मानना था कि शहरी विकास असमानता को दूर करने में महत्वपूर्ण है। कई लोग बेहतर जीवन के लिए गांव से शहर आते हैं। उन्हें रोजगार तो मिल जाता है लेकिन उनका जीवन स्तर गांव से भी खराब हो जाता है। डा. आंबेडकर चाहते थे कि यह स्थिति बदले। शहरी गरीबों का जीवन स्तर भी सुधरे। स्वच्छ भारत मिशन 2.0 और अटल मिशन 2.0 की शुरुआत शहरों में स्वच्छता व सुधार की दिशा में अहम कदम साबित होंगे।

स्वच्छ भारत का उद्देश्य व्यक्ति, क्लस्टर और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना है। स्वच्छ भारत राष्ट्रीय आंदोलन की सफलता है कि युवा पीढ़ी स्वच्छता अभियान में सहयोग कर रही है, सड़क पर कचरा फेंकने की प्रवृत्ति में कमी आई है। दरअसल स्वच्छता एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का या कुछ लोगों का ही काम नहीं है, बल्कि यह हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला सतत अभियान है, जिसे हमें चलाते रहना है। स्वच्छता एक जीवनशैली है, स्वस्थ जीवन का मंत्र है, इसे हमें अपनाना चाहिए। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, अटल मिशन के दूसरे चरण का लक्ष्य लगभग 2.64 करोड़ सीवर कनेक्शन प्रदान करके लगभग 2.68 करोड़ नल कनेक्शन और 500 अमृत शहरों में 'सीवरेज' और 'सेप्टेज' का शत-प्रतिशत कवरेज करते हुए लगभग 4,700 शहरी स्थानीय निकायों में सभी घरों में पेयजल की आपूर्ति का शत-प्रतिशत कवरेज प्रदान करना है। इससे शहरी क्षेत्रों में 10.5 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ होगा। सरकार को यह लक्ष्य समय से पूरा करना चाहिए।

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