Court में हिंदी भाषा की अनिवार्यता के फैसले को हाईकोर्ट में दी चुनौती, सरकार को किया जवाब तलब
कुछ वकील (lawyer) हिंदी में बहस करने में सक्षम नहीं हो सकते क्योंकि सभी लॉ कॉलेज (Law college) अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाते हैं और कानूनी शब्दावली का हिंदी संस्करण (Edition) ज्ञात नहीं है।

हरियाणा। राज्य के सभी सिविल और आपराधिक अधीनस्थ न्यायालयों (Courts) में हिंदी का उपयोग अनिवार्य करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट के जस्टिस राजन गुप्ता व जस्टिस करमजीत सिंह की खंडपीठ इस मामले में हरियाणा सरकार को नोटिस (Notice) जारी कर जवाब तलब किया है। इस मामले में समीर जैन व अन्य ने हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा राजभाषा (संशोधन) अधिनियम, 2020 में संशोधन को चुनौती दी है।
जो पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट के अधीनस्थ सभी सिविल और आपराधिक न्यायालय, सभी राजस्व अदालतें, ट्रिब्यूनल में हिंदी का उपयोग अनिवार्य तौर पर लागू करता है । याचिकाकर्ता ने दलील दी है कि इस तरह की अधिसूचना को लागू करने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार अधिसूचना भेदभावपूर्ण है और भारत के संविधान की धारा 19 (1) (जी) का उल्लंघन करती है। अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 30 में उल्लेख है कि अधिवक्ता पूरे भारत में अभ्यास करने का अधिकार रखता है।
इसके अलावा कुछ वकील हिंदी में बहस करने में सक्षम नहीं हो सकते क्योंकि सभी लॉ कॉलेज अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाते हैं और कानूनी शब्दावली का हिंदी संस्करण ज्ञात नहीं है। कानून की अधिकतर जजमेंट और पुस्तक में उपलब्ध नहीं है। याची ने कहा कि जब कानून की पढ़ाई अंग्रेजी में करेगें तो बहस कैसे होगी।