हेल्थ कार्ड स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाएगा
प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन (पीएम-डीएचएम) की शुरुआत स्वास्थ्य क्षेत्र में नया बदलाव लेकर आएगा। सरकार की इस फ्लैगशिप योजना का लक्ष्य देशभर में स्वास्थ्य सेवा को डिजिटल बनाना है। इस योजना के तहत हर भारतीय नागरिक की एक यूनीक हेल्थ आईडी बनाई जाएगी, जिससे एक देशव्यापी डिजिटल हेल्थ ईको-सिस्टम तैयार किया जा सके।

संपादकीय लेख
Haribhoomi Editorial : आधार के बाद भारत हेल्थ सेक्टर में अभिनव प्रयोग करने जा रहा है। सरकार ने डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। कोरोना काल के बाद लोगों को स्वास्थ्य का महत्व अधिक नजर आया है। अगर हर नागरिक का हेल्थ कार्ड होगा, तो सरकार को स्वास्थ्य सेवा को और प्रभावी बनाने में मदद मिलेगी। सरकार का सभी नागरिकों का हेल्थ कार्ड बनाना का ऐलान सराहनीय है।
प्रधानमंत्री डिजिटल हेल्थ मिशन (पीएम-डीएचएम) की शुरुआत स्वास्थ्य क्षेत्र में नया बदलाव लेकर आएगा। सरकार की इस फ्लैगशिप योजना का लक्ष्य देशभर में स्वास्थ्य सेवा को डिजिटल बनाना है। इस योजना के तहत हर भारतीय नागरिक की एक यूनीक हेल्थ आईडी बनाई जाएगी, जिससे एक देशव्यापी डिजिटल हेल्थ ईको-सिस्टम तैयार किया जा सके। पीएम-डीएचएम के तहत सभी नागरिकों को एक विशिष्ट डिजिटल हेल्थ आईडी मुहैया कराई जाएगी जिसमें उसकी सेहत से जुड़ी सभी सूचनाएं दर्ज होंगी। इससे व्यक्तिगत स्वास्थ रिकार्ड को मोबाइल एप की मदद से जोड़ा और देखा जा सकेगा। हेल्थ कार्ड बनवाने के लिए सिर्फ आधार कार्ड और मोबाइल नंबर की जरूरत होगी। इसके अलावा नाम, जन्म का साल, लिंग, पता जैसी सामान्य जानकारियां भरनी होंगी। कोई भी डॉक्युमेंट ऑफलाइन सबमिट करने की जरूरत नहीं होगी। पूरी प्रोसेस ऑनलाइन होगी। बच्चों के लिए भी सेम प्रोसेस से आईडी कार्ड बनेंगे। इससे पहले यह योजना नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (एनडीएचएम) के नाम से चल रही थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2020 को इसे अंडमान-निकोबार, चंडीगढ़, दादरा नागर हवेली, दमनदीव, लद्दाख और लक्षद्वीप में शुरू किया था। इसे अब पूरे देश में शुरू किया गया है। हेल्थ डेटा अस्पताल में नहीं, बल्कि डेटा सेंटर में होगा, जो कार्ड के जरिए देखा जा सकेगा। हेल्थ आईडी इलाज कराने वालों के लिए आधार कार्ड जैसा अहम होगा। हेल्थ कार्ड धारक की अनुमति से ही डेटा ट्रांसफर हो सकता है। जब कोई डेटा ट्रांसफर करना चाहेगा या देखना चाहेगा तो ओटीपी मांगेगा। इसलिए यह सेफ होगा। योजना के मुताबिक हेल्थ कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं होगा, पर इसे सबको बनवाना चाहिए। हेल्थ आईडी नागरिकों के हेल्थ खाते के रूप में भी काम करेगी। इससे व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकार्ड को मोबाइल एप की मदद से जोड़ा और देखा जा सकेगा। इसके तहत, हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री और हेल्थकेयर फैसिलिटीज रजिस्ट्रियां, आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों दोनों ही मामलों में सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए एक कलेक्शन के रूप में कार्य करेंगी।
यह चिकित्सकों, अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिए आसान होगा। यूनिक हेल्थ कार्ड बन जाने के बाद मरीज को डॉक्टर से दिखाने के लिए फाइल ले जाने से छुटकारा मिलेगा। डॉक्टर या अस्पताल रोगी का यूनिक हेल्थ आईडी देखकर उसका पूरा डेटा निकालेंगे और सभी बातें जान सकेंगे। उसी आधार पर इलाज शुरू हो सकेगा। पूरी मेडिकल हिस्ट्री डिजिटल फार्मेट में अपडेट होगी। किसी दूसरे शहर, अस्पताल में भी यूनीक हेल्थ आईडी से डॉक्यूमेंट्स देखे जा सकेंगे। यह कार्ड ये भी बताएगा कि उस व्यक्ति को किन-किन सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता है। रोगी को आयुष्मान भारत के तहत इलाज की सुविधाओं का लाभ मिलता है या नहीं, इस यूनिक कार्ड के जरिये पता चल सकेगा। डिजिटल इंडिया अभियान से देश के नागरिकों की ताकत बढ़ी है। हेल्थ कार्ड इसे और मजबूती मिलेगा।