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उपभोक्ताओं को करंट दे रहा बिजली बिल : नॉन एनर्जी चार्ज जुड़ने से ढ़ाई गुणा की बढ़ोतरी, समझिए पूरा खेल

दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा इस माह से आ रहे नए बिजली बिलों के साथ एडवांस कंजप्शन डिपॉजिट (एसीडी-अग्रिम सुरक्षा राशि) जोड़कर भेजी जा रही है। बिजली बिलों में नॉन एनर्जी चार्ज का कॉलम बनाकर उसे जोड़कर भेजा जा रहा है।

उपभोक्ताओं को करंट दे रहा बिजली बिल : नॉन एनर्जी चार्ज जुड़ने से ढ़ाई गुणा की बढ़ोतरी, समझिए पूरा खेल
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बिजली बिल

राजकुमार : नारनौल। बिजली बिलों में जुड़कर आ रही भारी भरकम नॉन एनर्जी चार्ज राशि को देखकर सर्दी में भी उपभोक्ताओं के पसीने छूट रहे हैं। इस बढ़ी हुई राशि को ठीक करवाने के लिए उपभोक्ता निगम कार्यालय के चक्कर भी लगा रहे हैं, उन्हें समस्या का समाधान नहीं मिल रहा। अधिकारी नियमों का हवाला देकर इस बढ़ी राशि को कम करने का नाम नहीं ले रहे।

उल्लेखनीय है कि दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा इस माह से आ रहे नए बिजली बिलों के साथ एडवांस कंजप्शन डिपॉजिट (एसीडी-अग्रिम सुरक्षा राशि) जोड़कर भेजी जा रही है। बिजली बिलों में नॉन एनर्जी चार्ज का कॉलम बनाकर उसे जोड़कर भेजा जा रहा है। इसके तहत लाखों उपभोक्ताओं को एक तरह से सिक्योरिटी राशि जमा करवानी पड़ रही है। यह सिक्योरिटी राशि पूरे साल के बिलों का औसतन निकालकर तय की जा रही है। अक्टूबर के अंतिम सप्ताह व नवंबर में आने वाले सभी बिलों में यह नॉन एनर्जी चार्ज जोड़कर भेजे जा रहे हैं। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ रहा है। उनको बिल के साथ-साथ नॉन एनर्जी चार्ज भी नए बिल की अंतिम तारीख तक भरना पड़ेगा।

एक साल की औसत निकालकर भेजा जा रहा बिल

इस नियम के तहत बिजली निगम की ओर से एक उपभोक्ता के पूरे साल पूरे बिल राशि को जोड़कर महीने भर की उसकी एवरेज निकाल ली जाती है। उसके बाद उसके दो बिलों जितनी राशि को सिक्योरिटी के तौर पर रखा जाता है। हरियाणा इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन (एचईआरसी) के निर्देशानुसार सभी सक्रिय बिजली उपभोक्ताओं को वित्तीय वर्ष में दो औसत बिलिंग के बराबर अग्रिम सुरक्षा राशि (एसीडी) रखना अनिवार्य किया गया है।

कोरोना महामारी में तैयार की थी योजना

बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम द्वारा बिजली सिक्योरिटी लेने की योजना बनाई गई थी। उस समय यह योजना तैयार कर सरकार ने लागू भी कर दी थी, लेकिन इसका विरोध होने के एवं उपभोक्ताओं की अग्रिम खपत जमा की समीक्षा करने के चलते स्थगित कर दी थी। अब इसे दोबारा शुरू किया गया है। यह अग्रिम सुरक्षा राशि सभी प्रकार के उपभोक्ताओं के बिलों के साथ जोड़कर आ रही है।

कितने वाट का कनेक्शन, इससे नहीं पड़ेगा कोई फर्क

उपभोक्ता ने कितने किलो वाट का कनेक्शन लिया है, इससे अब निगम को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। उपभोक्ता द्वारा बिजली कितनी प्रयोग की जा रही है, बिजली निगम द्वारा केवल यह देखा जाएगा। इसी के आधार पर अब नए नियम के अनुसार हर साल सिक्योरिटी यानी अग्रिम सुरक्षा राशि उपभोक्ता के बिल के हिसाब से तय की जाएगी। पहले यह एक मुश्त ली जाती थी, मगर अब एक साल में आपके जितने बिल की राशि होगी, उनकी औसत के हिसाब से यह सिक्योरिटी राशि बढ़ाई जाएगी और उपभोक्ता के बिल में जुड़कर आएगी।

पहले निगम को होता था नुकसान

पहले मीटर लगने के दौरान ही सिक्योरिटी राशि जमा करवाई जाती थी। बिल नहीं भरने की सूरत में जब कनेक्शन काटा जाता था तो कम बिजली प्रयोग करने वाले उपभोक्ता से तो सरकार को कोई नुकसान नहीं होता था, क्योंकि करीब इतनी ही सिक्योरिटी राशि भी जमा होती थी। मगर ज्यादा बिजली प्रयोग करने वाले उपभोक्ता द्वारा जमा सिक्योरिटी राशि से पेंडिंग बिलों की भरपाई नहीं हो पाती थी और सरकार को नुकसान होता था। मगर अब बिजली बिल की औसत सिक्योरिटी राशि के जमा रहने से ऐसा नहीं होगा।

बिल 1575 आया, नॉन एनर्जी चार्ज के जोड़ दिए 1003 रुपये

दुकानदार ललित सैनी ने बताया कि उनकी दुकान का बिजली बिल पहले कम आता था। अबकी बार महज 43.67 यूनिट खर्च होने के बावजूद 1575 रुपये बिल आया है, जबकि यह करीब 570 रुपये होना चाहिए था। इस बार के बिल में 1003.99 रुपये नॉन एनर्जी के नाम के जोड़ रखे हैं। इसे ठीक कराने के लिए वह निगम कार्यालय भी गया, लेकिन उसका बिल नियम अनुसार होने की बात कहकर ठीक नहीं किया गया। उन्हें नॉन एनर्जी की बात समझ ही नहीं आ रही कि आखिर किस बात के पैसे जोड़ दिए गए हैं।

निगम की तरफ से सर्कुलर जारी

बिजली निगम के कार्यकारी अभियंता संजय रंगा ने बताया कि निगम की तरफ से सर्कुलर जारी किया गया है, जिसमें एसीडी की राशि का निर्धारण किया गया है। यह राशि अब बिजली बिलों में जुड़कर आ रही है तथा यह राशि नियम के अनुसार ही हो रही है, जो उपभोक्ताओं को अदा करनी होगी।

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