Delhi Pollution: दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली जलाना, 882 घटनाएं आई सामने, जानें आज का AQI
मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिन के वक्त उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही हैं और पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषक तत्वों को अपने साथ ला रही है।

दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली जलाना
दिल्ली में जैसे-जैसे सर्दी बढ़ रही है वैसे-वैसे प्रदूषण का लेवल बढ़ता ही जा रहा है। उधर, पड़ोसी राज्य भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। हर रोज पराली जलाने के मामले बढ़ते ही चले जा रहे है। जिसकी पुष्टि नासा ने भी अपनी तस्वीरों में कर दी है। ऐसे में दिल्ली में रविवार सुबह वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में दर्ज की गई। दिल्ली के वातावरण में पीएम 2.5 कणों में पराली जलाने की हिस्सेदारी काफी अधिक बढ़ सकती है। एक केंद्रीय एजेंसी ने यह जानकारी दी।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 275 किया गया दर्ज
शहर में सुबह साढ़े आठ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 275 दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दिन के वक्त उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही हैं और पराली जलाने से पैदा होने वाले प्रदूषक तत्वों को अपने साथ ला रही है। रात में हवा के स्थिर होने तथा तापमान घटने की वजह से प्रदूषक तत्व जमा हो जाते हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एवं मौसम पूर्वानुमान तथा अनुसंधान प्रणाली' (सफर) के मुताबिक हरियाणा, पंजाब और नजदीकी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में शनिवार को पराली जलाने की 882 घटनाएं हुईं। इसमें बताया गया कि पीएम 2.5 प्रदूषक तत्वों में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार को करीब 19 फीसदी रही।
वायु संचार सूचकांक 12,500 वर्गमीटर प्रति सेकेंड रहने की उम्मीद
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने कहा है कि वायु संचार सूचकांक 12,500 वर्गमीटर प्रति सेकेंड रहने की उम्मीद है जो प्रदूषक तत्वों के बिखरने के लिए अनुकूल है। वायु संचार सूचकांक छह हजार से कम होने और औसत वायु गति दस किमी प्रतिघंटा से कम होने पर प्रदूषक तत्वों के बिखराव के लिए प्रतिकूल स्थिति होती है। प्रणाली की ओर से कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता पर पराली जलाने का प्रभाव सोमवार तक काफी बढ़ सकता है।
पराली जलाने की 882 घटनाएं हुईं
अधिकारियों ने शनिवार को कहा था कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष इस मौसम में अब तक पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं अधिक हुई हैं जिसकी वजह धान की समयपूर्व कटाई और कोरोना वायरस महामारी के कारण खेतों में काम करने वाले श्रमिकों की अनुपलब्धता है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने शुक्रवार को कहा था कि दिल्ली में पिछले साल की तुलना में इस साल सितंबर के बाद से प्रदूषकों के व्यापक स्तर पर फैलने के लिये मौसमी दशाएं 'अत्यधिक प्रतिकूल' रही हैं। हरियाणा, पंजाब और नजदीकी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में शनिवार को पराली जलाने की 882 घटनाएं हुईं।