हड़ताल के साइड इफेक्ट : शिक्षकों की कलम बंद हड़ताल, रसोइयों के भरोसे चल रहा स्कूल, सड़कों पर घूम रहे बच्चे...दुर्घटनाओं का अंदेशा
शिक्षकों की हड़ताल के चलते कई स्कूलों में ताला लटक रहा है, जिसके चलते कुछ बच्चे कैम्पस के बाहर घूमते मिले हैं। बच्चों के इस तरह कैम्पस के बाहर घूमने से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। कुछ दिन पहले ही स्कूलों में पढ़ाई ने जोर पकड़ा था। उसके बाद फिर से स्कूलों में तालाबंदी होते ही एक बार पढ़ाई फिर ठप हो गई है। पढ़िये पूरी खबर-

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। पूरे प्रदेश की तरह बलौदाबाजार जिले के पलारी में भी शिक्षकों ने कलम बंद हड़ताल कर दिया है। हड़ताल के चलते स्कूल में कोई शिक्षक नहीं हैं जो बच्चों को पढ़ा सकें। साथ ही स्कूलों में बच्चों की देख-रेख करने वाला भी कोई नहीं है। मध्यान्ह भोजन बनाने वाले रसोइयों के भरोसे पूरा का पूरा स्कूल और बच्चे हैं।
कैम्पस के बाहर घूम रहे बच्चे
शिक्षकों के हड़ताल के बाद से स्कूल परिसर में ताला लटक गया है, जिसके चलते कुछ बच्चे कैम्पस के बाहर घूमते मिले हैं। बच्चों के इस तरह कैम्पस के बाहर घूमने से कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही स्कूलों में पढ़ाई ने जोर पकड़ा था। उसके बाद फिर से स्कूलों में तालाबंदी होते ही एक बार पढ़ाई फिर ठप हो गई है।
हड़ताल से सबसे ज्यादा बुरी स्थिति स्कूलों की
बता दें कि, महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के आधार पर गृहभाड़ा की गणना की मांग पर राज्य के 2 लाख शिक्षक सहित अन्य विभागों के लाखों अधिकारी-कर्मचारी 5 दिनों के लिए हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल का असर सभी विभागों पर पड़ रहा है। इसके चलते सबसे ज्यादा बुरी स्थिति ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों की है, स्कूलों में शिक्षकों नहीं पहुंचने से पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को मध्यान्ह भोजन भी नहीं मिल पाएगा।
चार लाख से भी ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी हड़ताल पर
राज्य के चार लाख से भी ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कोरोना काल के बाद स्कूलों में एक बार फिर अच्छी पढ़ाई होनी शुरू हो गई थी। लंबित महंगाई भत्ते के मुद्दे पर राज्य सरकार द्वारा कोई ध्यान नहीं देने के कारण राज्य के कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन पर हैं। आंदोलन के तीसरे चरण में 25 जुलाई से 29 जुलाई तक 5 दिवसीय आंदोलन किया जा रहा है। ज्ञात हो कि प्रदेश के कर्मचारी लम्बे समय से महंगाई भत्ता की मांग करते आ रहे है। केंद्र सरकार एवं अन्य राज्यों के कर्मचारियों के तुलना में छत्तीसगढ़ के कर्मचारी को काफी कम महंगाई भत्ता दिया जा रहा है।