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शंकरपुर जंगल में मिला करोड़ों साल पुराना जीवाश्म

वन अधिकारियों ने बलरामपुर-रामानुजगंज जिलान्तर्गत दूरस्थ शंकरपुर जंगल में करोड़ों साल पुराने विशाल वानस्पतिक जीवाश्म की खोज की है। वरिष्ठ अधिकारियों की पुष्टि के बाद विभाग ने अब इसे पर्यटन एवं जैव-विविधता के मानचित्र पर स्थापित करने के प्रयास प्रारम्भ कर दिए हैं।

शंकरपुर जंगल में मिला करोड़ों साल पुराना जीवाश्म
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अम्बिकापुर. वन अधिकारियों ने बलरामपुर-रामानुजगंज जिलान्तर्गत दूरस्थ शंकरपुर जंगल में करोड़ों साल पुराने विशाल वानस्पतिक जीवाश्म की खोज की है। वरिष्ठ अधिकारियों की पुष्टि के बाद विभाग ने अब इसे पर्यटन एवं जैव-विविधता के मानचित्र पर स्थापित करने के प्रयास प्रारम्भ कर दिए हैं।

प्रागैतिहासिक काल में सरगुजा संभाग घनघोर वनों से आच्छादित था। कहा जाता है कि महाभारत काल में पाण्डवों ने इसी जंगल में अपने अज्ञातवास के 12 साल गुजारे थे। भगवान राम ने भी अपने वनवास का समय इसी जंगल में बिताया था। प्राचीन धार्मिक ग्रंथों मे भी दण्डकारण्य के रूप में इस प्रागैतिहासिक जंगल का वर्णन किया गया है। वनपरिक्षेत्र रघुनाथनगर अंतर्गत शंकरपुर जंगल में मिले विशाल वानस्पतिक जीवाश्म करोड़ों साल पहले क्षेत्र में विशाल जंगल होने की पुष्टि करते हैं।

वन अधिकारियों ने शंकरपुर जंगल में विशाल पेड़ों की आकृति में हैरान करने वाले पत्थरों को देख वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी। सूचना पर जैवविविधता बोर्ड के सदस्य एवं अपर प्रधान मुख्यवन संरक्षक अरूण कुमार पाण्डेय ने सीसीएफ अनुराग श्रीवास्तव, डीएफओ लक्ष्मण सिंह एवं अन्य वन अधिकारियों के साथ स्थल का निरीक्षण किया एवं इसके वानस्पतिक जीवाश्म होने की पुष्टि की। घनघोर जंगल में करोड़ों वर्ष पुराना दुर्लभ वानस्पतिक जीवाश्म मिलने से वन अधिकारी काफी उत्साहित हैं।

दूरस्थ ग्राम शंकरपुर पूर्वी एवं पश्चिमी पारा के संरक्षित वनक्षेत्र के कक्ष क्रमांक पी-615 एवं पी 616 में सतह पर विशाल वृक्षों के वानस्पतिक जीवाश्म मिले हैं। सभी जीवाश्म उत्तर-दक्षिण दिशा में हैं। माना जा रहा है करोड़ों साल पहले धरती में उथल-पुथल हुई होगी तथा जंगल के विशाल पेड़ जमीन के नीचे दब गए होंगे। ऑक्सीजन की कमी, पर्याप्त नमी सिलिका के कारण ये पेड़ पत्थर के स्वरूप में परिवर्तित हो गए तथा भूस्खलन होने के कारण सतह पर आ गए।सभी जीवाश्म एक ही दिशा में पड़े है। स्थिति को देखते हुए यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि करोड़ों साल पहले धरती के उथल-पुथल के साथ ही उत्तर दिशा में जबरदस्त तूफान चला होगा जिसके कारण सभी विशाल पेड़ एक ही दिशा में गिर गए होंगे।

जीवाश्मों की गोलाई 5 मीटर तक

शंकरपुर जंगल में मिले वानस्पतिक जीवाश्मों की गोलाई पांच मीटर तक है। वन अधिकारियों का कहना है कि सैकड़ों साल में पेड़ इस गोलाई में पहुंचते हैं। पेड़ों के जीवाश्म 500 मीटर हेक्टेयर में फैले हैं। पत्थर के जीवाश्म अलग-अलग प्रजाति के पेड़ों की शक्ल में हैं। अधिकारियों ने जीवाश्म का नमूना लखनऊ स्थित विरवर साहनी इंस्टीट्यूट आफ पेलियोटोलाजी को भेजा है।साथ ही जियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के अधिकारियों से सम्पर्क किया है। अभी विरवर साहनी इंस्टीट्यूट ने अपनी जांच रिपोर्ट नहीं भेजी है। जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने शीघ्र स्थल का निरीक्षण करने का आश्वासन दिया है।

शोध की अपार संभावनाएं

संयुक्त वनमण्डलाधिकारी एसएस सिंहदेव ने बताया कि जीवाश्मों की गोलाई से करोड़ों साल पुराने समृद्ध वनक्षेत्र का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। तब इस जंगल में जैवविविधता भी मौजूद होगी तथा पेड़ों की तरह धरती की हलचल में दफन हो गई। क्षेत्र में जैव विविधता के शोध की अपार संभावनाएं हैं। पोलियोवाटनी एवं भूगर्भ शास्त्र की खोज से प्रागैतिहासिक काल की महत्वपूर्ण जानकारियां मिलने की संभावना है। उन्होंने बताया कि ऐसे दुर्लभ वानस्पतिक जीवाश्म देश के गिने-चुने स्थानों पर मिले हैं।

नहीं मिली है रिपोर्ट

अभी विरवर साहनी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट नहीं मिली है। जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने शीघ्र निरीक्षण करने का आश्वासन दिया है।सरगुजांचल के जंगल जैवविविधता संस्कृति का बड़ा क्षेत्र है तथा इसके शोध की आवश्यकता है।

-अरुण पाण्डेय, एपीसीसीएफ

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