Hari bhoomi hindi news chhattisgarh
toggle-bar

छत्तीसगढ़ की फसलों पर छत्तीसगढ़िया वैज्ञानिक विदेश में करेंगे रिसर्च

छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिक अब अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ऑस्ट्रिया में शामिल होकर गेंहू और चावल में होने वाली बीमारियों का पता लगाएंगे। प्रदेश के वैज्ञानिकों को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध का मौका मिलने जा रहा है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि राज्य के कृषि विशेषज्ञ विदेशी सरजमीं पर छत्तीसगढ़ में होने वाली पैदावार और खराब होने वाली फसलों के संबंध में रिसर्च करेंगे।

छत्तीसगढ़ की फसलों पर छत्तीसगढ़िया वैज्ञानिक विदेश में करेंगे रिसर्च
X

ललित राठौर. रायपुर. छत्तीसगढ़ के कृषि वैज्ञानिक अब अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ऑस्ट्रिया में शामिल होकर गेंहू और चावल में होने वाली बीमारियों का पता लगाएंगे। प्रदेश के वैज्ञानिकों को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोध का मौका मिलने जा रहा है। यह इसलिए भी खास है क्योंकि राज्य के कृषि विशेषज्ञ विदेशी सरजमीं पर छत्तीसगढ़ में होने वाली पैदावार और खराब होने वाली फसलों के संबंध में रिसर्च करेंगे।

भारत से रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों का नाम शोध के लिए चयनित किया गया है। यह पहला अवसर है जब आईएईए ने अपनी परियोजना में कृषि विवि को शामिल किया है। इस कार्य के प्रमुख अन्वेषक विवि के मुख्य कृषि वैज्ञानिक डाॅ. दीपक शर्मा हैं। उन्होंने बताया, एजेंसी को परियोजना में शामिल होने विवि ने प्रस्ताव भेजा था। स्वीकृति मिलने के बाद विशेषज्ञ अनुसंधान कार्य में जुटे हैं। गेंहू और चावल की फसलों में ब्लास्ट प्रमुख बीमारी है। इसके कारण धान की उत्पादन क्षमता में हर बार 50 से 70 फीसदी की गिरावट देखी जाती है। फसलों में होने वाली इस बीमारी की वजह से किसानों को बहुत बड़ा नुकसान होता है। इस नुकसान से किसानाें को बचाने और बीमारी के रोकथाम को लेकर शोध किया जाएगा। इसका सीधा लाभ किसानाें को मिलेगा।

एजेंसी के खर्च पर ढूंढेंगे फार्मूला

रिसर्ज प्रोजेक्ट में किसानों के लिए विकसित नए किस्म का चावल विक्रम टीसीआर लिया गया है। वैज्ञानिक ने बताया, गामा रेडिएशन द्वारा चावल के गुण में परिवर्तन को लेकर रिसर्च हो चुका है। जिसके बाद से पैतृक किस्म के चावल की तुलना में ऊंचाई कम और पकने की अवधि कम हुई है। परियोजना में विक्रम टीसीआर के जिनोम में ब्लास्ट बीमारी के प्रतिरोधी व सहनशील जीन के लिए नया फार्मूला विकसित किया जा सकेगा। बोयाइन्फोर्मटिक तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। शोध कार्य 2023 तक पूरा करने लक्ष्य है। इसका सारा खर्च रिसर्च एजेंसी के द्वारा वहन किया जाएगा।

एक महीने ऑस्ट्रिया में लेंगे प्रशिक्षण

इस परियोजना के लिए एक अधिकारी को एक से दो महीने के लिए ऑस्ट्रिया में स्थित अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रयोगशाला में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए तकनीकी अनुसंधान सहायक के डॉ. परमेश्वर कुमार साहू का चयन किया गया है। परियोजना से जुड़ी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। अनुसंधान से विवि के छात्रों को भी लाभ पहुंचाया जाएगा। जल्द ही चयनित वैज्ञानिक प्रशिक्षण के लिए रवाना होंगे।

नए अवसर होंगे प्राप्त

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ऑस्ट्रिया की परियोजना के लिए पत्राचार पूरा हो चुका है। विवि ने इस क्षेत्र में कार्य भी प्रारंभ कर दिया है। इस परियोजना के लिए विवि को नए अवसर भी प्राप्त होंगे।

- डाॅ. एस.के. पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय

और पढ़ें
Next Story