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सरकारी अस्पताल में गर्भवती का नहीं किया इलाज, निजी अस्पताल में हुई मौत, 3 नर्स हुईं सस्पेंड

बिहार के कैमूर जिले में डीएम ने तीन एएनएम नर्सों को सस्पेंड कर दिया है। इन गर्भवती महिला के केस में लापरवाही बरतने का आरोप है। प्रमंडलीय आयुक्त के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है।

Three ANM of Kaimur Sadar Hospital suspended for negligence in case of pregnant woman bihar latest news
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प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रमंडलीय आयुक्त के निर्देश के बाद कैमूर जिलाधिकारी (Kaimur District Magistrate) ने लापरवाही बरतने के मामले पर भभुआ सदर अस्पताल (Bhabua Sadar Hospital) की 3 एएनएम को सस्पेंड (3 ANM suspended) कर दिया। इसके अलावा डॉक्टर (Doctor) के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है। वहीं शहर के एक प्राइवेट अस्पताल पर मामला दर्ज (Case registered against private hospital) कराया गया है। डीएम ने लोक शिकायत निवारण न्यायालय में सुनवाई के वक्त यह जानकारी प्रमंडलीय आयुक्त को दी।

डीएम ने यह भी बताया कि भभुआ सदर अस्पताल के तत्कालीन चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. प्रेम राजन पर लापरवाही बरतने के आरोप में कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। इसके अलावा सुविधा पॉलीक्लिनिक के संचालक संजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। साथ ही सदर अस्पताल भभुआ में प्रतिनियुक्त 3 एएनएम को सस्पेंड कर किया गया है। सस्पेंड होने वाली एएनएम के नाम सुषमा कुमारी, मनोरमा कुमारी व सुनीता कुमारी हैं। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता संजू कुमारी को सेवा से हटा दिया गया है। वहीं बीसीएम चैनपुर विवेक कुमार को एक महीने के मानदेय में 40 फीसदी राशि की कटौती की गई है।

प्रथम अपीलीय प्राधिकार सह प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल के लोक शिकायत न्यायालय में यह मामला आया था। जिसपर आयुक्त संजय कुमार ने पूरे केस में जांच पड़ताल कराई। आरोप सही पाए जाने पर मामले में यह कार्रवाई की गई है। इस दौरान आयुक्त ने 13 केस का निष्पादित किया।

जानें पूरा मामला

जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष कैमूर निवासी संजीत कुमार खरवार अपनी पत्नी को लेकर भभुआ सदर अस्पताल पहुंचे थे। उस दौरान उनकी पत्नी को प्रसव पीड़ा थी। रात का वक्त था। डयूटी पर उपस्थित एएनएम और डॉक्टर ने गर्भवती महिला का प्रसव कराने की जगह निजी अस्पताल जाने के लिए कह दिया। निजी अस्पताल में इलाज के दौरान गर्भवती महिला की मौत हो गई।

आरोप पाए गए सही

प्रमंडलीय आयुक्त के संज्ञान में जब यह केस आया तो जिला स्तर पर गठित गर्भवतियों की मौत से जुड़ी कमेटी को मामले में जांच करने के लिए निर्देश दिए गए। कमेटी ने केस में तफ्तीश की तो ज्ञात हुआ कि संजीत की ओर से दर्ज कराए गए आरोप सही हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की लापरवाही की वजह से गर्भवती महिला की मौत हुई है। अगर महिला को समय पर इलाज मिलता तो शायद उसका जीवन बच जाता।

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