Sunday Special: बराबर पहाड़ पर स्थित है सिद्धेश्वर नाथ मंदिर, सावन माह में उमड़ता है यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब
बिहार में बराबर की पहाड़ियां धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध हैं। इनका कुछ भाग जहानांबाद और कुछ भाग गया जिले में पड़ता है। यहीं पर सिद्धेश्वर नाथ महादेव विराजमान हैं। यहां वर्ष भर में हर दिन श्रद्धालु पहुंचते हैं।

प्रतीकात्मक तस्वीर
बराबर की पहाड़ियां (Barabar Hills) बिहार की महत्वपूर्ण विरासतों (Important heritage of Bihar) में से एक मानी जाती हैं। बराबर की पहाड़ियां का कुछ भाग जहानाबाद (Jehanabad) जिले के मखदुमपुर ब्लॉक में तो कुछ हिस्सा गया (Gaya) जिले में पड़ता है। बराबर पहाड़ियों की श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी पर सिद्धेश्वर नाथ महादेव मंदिर (Siddheshwar Nath Mahadev Temple) स्थित है। हजारों वर्ष पुराने इस शिव मंदिर में जलाभिषेक करने के लिए वर्ष में हर दिन श्रद्धालु पहुंचते हैं। वहीं सावन महीने में तो यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ता है। यहां मगध के महान सम्राट अशोक के वक्त के शिलालेख आज भी उस साम्राज्य की गाथा को बयां करते हैं। यह अभिलेख ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं और वर्षों पुराने इतिहास का जीवंत प्रमाण हैं। इसलिए इतिहास में रुचि रखने वाले लोग इस स्थान को काफी पसंद करते हैं। बराबर ना सिर्फ पहाड़ व जंगल के लिए जाना जाता है। बल्कि यहां औषधीय पेड़-पौधे व लौह अयस्क के भी भंडार हैं।
जहानाबाद से जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर है दूरी
गया प्रमंडल मुख्यालय से 30 किलोमीटर उत्तर-पूरब और जहानाबाद जिला मुख्यालय से 25 किमी दक्षिण-पूरब में बराबर पर्वत श्रृंखला स्थित है। बराबर पर्वत श्रृंखला ना सिर्फ स्वच्छंद व प्रदूषण मुक्त नैसर्गिक सौंदर्य को खुद में समेटे है। बल्कि बराबर पर्वत श्रृंखला भारत की अमूल्य पौराणिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों का संगम भी है। बराबर की पहाड़ी राक पेंटिंग का लाजवाब उदाहरण है। हालिया दिनों में बराबर पहाड़ियों के सौंदर्यीकरण के लिए कई कार्य भी किये गए हैं।
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब यहां पुलिस (Police) थाना भी स्थापित कर दिया गया है। बौद्ध सर्किट से जोड़े जाने के अलावा यहां प्रति साल बाणावर महोत्सव का भी आयोजन होता है। बराबर पहाड़ की चोटी तक आसनी से पहुंचने के लिए रोपवे का निर्माण कार्य भी यहां प्रस्तावित है। जिस पर 24 करोड़ की लागत आएगी। रोपवे निर्माण के लिए तमाम प्रक्रिया पूरी हो गई हैं। वैसे 4 किलोमीटर तक बनने वाले इस रोपवे के निर्माण कार्य में लगातार देरी हो रही है।
मगध का हिमालय पुकारा जाता है बराबर का पहाड़
यह पहाड़ करीब 100 फीट ऊंचा है। इसको मगध का हिमालय भी पुकारा जाता है। यह देश के काफी पुराने पहाड़ों में से भी एक माना जाता है। बराबर की पहाड़ियों पर कुल 7 गुफाएं स्थित हैं। ये गुफाएं पर्यटकों के मन को आकर्षित करती हैं। इनमें 4 गुफाएं बराबर पहाड़ियों पर व 3 गुफाएं निकट ही नागार्जुन की पहाड़ियों पर स्थित हैं। पहाड़ों को काफी ध्यान से काट कर हजारों वर्ष पहले इंसान ने बेहद सुंदर गुफाएं बनाई हैं। इनमें से कई गुफाओं की दीवारों को देखने के बाद आप हैरान हो जाएंगे। क्योंकि इन दीवारों की चिकनाई वर्तमान में इस्तेमाल की जाने वाली टाइल्स से कतई कम नहीं है।
मौर्य काल की यह स्थापत्य कला पर्यटकों को पूरी तरह से आश्चर्यचकित करती है। आजीवक संप्रदाय के बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए इन गुफाओं का निर्माण मगध सम्राट अशोक के आदेश पर करवाया गया था। इसमें सुदामा, कर्ण चौपर और लोमस ऋषि गुफाएं अपनी स्थापत्य कला के लिए देश ही नहीं दुनिया में भी जानी जाती हैं। गुफाओं के प्रवेश द्वार पर ही अशोक के द्वारा खुदवाए गए अभिलेखों को पर्यटकों द्वारा पढ़ना रोमांच से भर देता है।
जब बनाया गया था बाबा सिद्धनाथ का मंदिर
बराबर पहाड़ पर स्थित बाबा सिद्धनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में गुप्ता काल के दौरान हुआ था। यह भी कहा जाता है कि राजगीर के महान राजा जरासंध ने बाबा सिद्धनाथ का मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर से एक गुप्त रास्ता राजगीर किले तक भी जाता था। इसी मार्ग से राज परिवार के लोग पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिर पहुंचते थे। पहाड़ी के नीचे विशाल जलाशय पातालगंगा है। इसी में ये लोग स्नान कर मंदिर में पूजा-अर्चना करते थे।