बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन को तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भरोसा नहीं : जदयू
जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में हार के डर से विपक्षी महागठबंधन बौखला गया है। ना वे बैठक कर रहे हैं व ना ही चुनावी रणनीति पर सहमत हो पा रहे हैं। वहीं उन्हें तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भी भरोसा नहीं है।

बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच पक्ष, विपक्ष एक-दूसरे पर हमलावर हैं। इसी कड़ी में जदयू प्रवक्ता ने बुधवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर राजद पर निशाना साधा है। जदयू प्रवक्ता ने कहा कि राजद को अपने शासन की नाकामियों पर जवाब देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज के कानून व्यवस्था का हौव्वा बनाने से पहले राजद वो दौर याद कर ले, जब गाड़ियों से निकली हुई बंदूक सूबे की पहचान मानी जाती थी। इसके अलावा सूबे में अपराधियों को शीर्ष नेताओं और सरकार का संरक्षण प्राप्त होता था। राजद चुनाव के बौखलाहट में सब भूल गई है।
सीएम नीतीश कुमार ने सूबे में कायम किया है कानून का राज : राजीव रंजन
राजीव रंजन ने बिहार की कानून - व्यवस्था का सवाल खड़ा करने वाली राजद को 1990 से लेककर 2005 तक के अपने शासन को याद करना चाहिये। साथ ही राजद को उस दौर की नाकामियों पर पहले जबाब देना चाहिये। जदयू प्रवक्ता ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने बिहार को इलाकाई क्षत्रपों, सामूहिक नरसंहारो, अपहरण व फिरौती आदि के जंगल राज के दौर से निकालकर बिहार में कानून का राज स्थापित किया है।
बौखलाहट में है विपक्षी महागठबंधन : जदयू
जदयू प्रवक्ता ने कहा कि बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव में होने वाली करारी हार के डर से विपक्षी महागठबंधन बौखला गया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी महागठबंधन की ना तो बैठते हो पा रही हैं व ना ही वे आपस में चुनावी रणनीति पर सहमत हो पा रहे हैं। चुनाव में उनका सूपड़ा साफ हो जाएगा व तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर भी उन्हें भरोसा नहीं है। राजीव रंजन ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष की बौखलाहट अब जगजाहिर है। उहापोह की स्थिति बनी हुई है। विपक्ष ने सिर्फ कोलाहल करने का काम किया है तो ऐसी स्थिति का बनना तो स्वाभाविक है।
राजद ने उठाया 15 वर्षीय सुशासन पर सवाल
बिहार में राजद के प्रदेश प्रवक्ता अरुण कुमार यादव ने बुधवार को ट्वीट कर नीतीश कुमार के 15 वर्षीय सुशासन पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में व्याप्त अपराध, महंगाई, पलायन, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, बदहाल शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर क्या सुशासन बाबू कुछ बोलेंगे?