बिहार विधानसभा चुनाव 2020: भूपेंद्र यादव बोले- भाजपा ने 'बिहार में का बा' के जवाब में नया नारा दिया कि 'बिहार में ई बा'
बिहार विधानसभा चुनाव 2020: भाजपा नेता भूपेंद्र यादव ने विपक्षियों के 'बिहार में का बा' सवाल का जवाब दिया है। उन्होंने बताया कि भाजपा ने 'बिहार में का बा' के सावाल के जवाब में नया नारा दिया कि 'बिहार में ई बा'। इसके साथ ही भूपेंद्र यादव ने शिक्षा, सड़क, एम्स, एयरपोर्ट व बिजली समेत विभिन्न चीजें बिहार में होने का दावा किया है।

भाजपा नेता भूपेंद्र यादव
बिहार विधानसभा चुनाव 2020: बिहार में धीरे-धीरे विधानसभा का चुनाव अपने चरम पर पहुंचने की ओर है। वहीं चुनाव को लेकर बिहार में सियासी दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी देखने को मिल रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं बिहार चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने ट्विटर एवं फेसबुक के माध्यम से एक लेख जारी करके विपक्षियों के 'बिहार में का बा' सवाल का उत्तर दिया है।
भूपेंद्र यादव ने बताया कि बिहार चुनाव विपक्षी दलों ने कहना शुरू किया, 'बिहार में का बा ? उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा सवाल था, जिस पर भाजपा ने नया नारा दिया कि 'बिहार में ई बा'। भूपेंद्र यादव ने कहा कि दरअसल बिहार की राजनीतिक स्थिति, सामाजिक बुनावट व सांस्कृतिक संरचना पर नजर डालते हैं तो 'का बा' का जवाब इन सन्दर्भों में और व्यापक हो जाता है। यही वजह है कि अब बिहार के इस चुनाव में 'बा' शब्द केवल एक सहायक क्रिया भर नहीं रह गया है। बल्कि अब यह शब्द चुनावी नारे में ढलकर नए अर्थ ले चुका है।
जो पूछते हैं कि बिहार में का बा ? उनके लिए..
— Bhupender Yadav (@byadavbjp) October 15, 2020
बिहार में एम्स बा, एयरपोर्ट बा, घर-घर बिजली बा, गांव-गांव में सड़क बा, कोसी पर पुल बा, कोविड अस्पताल बा, पढ़ाई के संस्थान बा, फिरौती, छिनैती, रंगदारी, वसूली से मुक्ति बा. बहुत कुछ बा... कितना गिनाया जाए भाई? https://t.co/wJfk4inzj2 pic.twitter.com/nfNm5TOcKC
भूपेंद्र यादव ने कहा कि बात चल पड़ी है कि 'बिहार में का बा ?'। अब बिहार में चुनाव, राजनीति व सरकार से अलग भी बहुत कुछ ऐसा है जिसे हम इस 'बा' के आलोक में रख सकते हैं। बिहार के पास लोकभाषा है, लोकसंस्कृति है व लोक कवियों की पूरी एक परम्परा है।
बिहार में मिथिला के कोकिल कहे जाने वाले पं. विद्यापति के रसपूर्ण गीतन के सरस पुकार बा, भिखारी ठाकुर के बिदेसिया बा, महेंदर मिसिर के पुरबिया तान बा, रघुवीर नारायण के बटोहिया बा, गोरख पाण्डेय के ठेठ देसी कविता बा व रामधारी सिंह दिनकर के राष्ट्रवादी कविता के ओजस्वी हुंकार भी बा। बिहार में कजरी बा, चईता बा, बिरहा बा, बारहमासा बा, जोगीरा बा। लोकगीत, संगीत व कविता के क्षेत्र में बिहार के आपन अलग और विशिष्ट पहचान बा। और इस सब के बाद जैसा कि बिहार की ही माटी के भोजपुरी के बड़े कवि रघुवीर नारायण ने लिखा है – 'सुन्दर सुभूमि भईया भारत के देसवा, मोरे प्राण बसे हिम-खोहि रे बटोहिया' भारत के प्रति गौरव-बोध भी बिहार की माटी में ही बा।
बिहार ने दिया है विभिन्न नारों को जन्म: भूपेंद्र यादव
भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारतीय राजनीति में नारों का अपना विशेष महत्व है। अस्सी के दशक में बिहार के ही सपूत रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'सिंघासन खाली करो कि जनता आती है' आपातकाल के विरुद्ध नारे की तरह गूंजती रही थी। डॉ. लोहिया के बारे में भी यह नारा बड़ा प्रसिद्ध है कि - जब जब लोहिया बोलता है, दिल्ली का तख्ता डोलता है। ऐसे और भी बहुत-से नारे रहे हैं।
इस चुनाव में भी अलग-अलग तरह के नारे दिए जा रहे: भाजपा नेता
भाजपा नेता भूपेंद्र यादव ने कहा कि इस चुनाव में भी अलग-अलग तरह के नारे सामने आ रहे हैं। लेकिन 'बिहार में ई बा' का जो नारा एनडीए की तरफ से दिया गया है। वो ना केवल अपनी बनावट में अलग है। बल्कि बिहार की पारंपरिक छवि से अलग उसकी एक नई व चमकदार छवि प्रस्तुत करता है। वहीं उन्होंने अनुमान जताया है कि बिहार की जनता निश्चित रूप से इस नारे से जुड़ेगी।
भूपेंद्र यादव ने विपक्षियों के सवालों का जवाब दिया
अंत में भूपेंद्र यादव ने विपक्षियों के सवालों का जवाब दिया है। भूपेंद्र यादव ने कहा कि जो लोग पूछते हैं कि बिहार में का बा ? उनके लिए सिर्फ वे इतना कहेंगे...
बिहार में एम्स बा, कई गो एयरपोर्ट बा, घर-घर बिजली बा, गांव-गांव में सड़क बा, कोसी पर पुल बा, कोविड के अस्पताल बा... पढ़ाई के बड़का-बड़का संस्थान बा... हिंसा, फिरौती, छिनैती, रंगदारी, वसूली से मुक्ति बा.. बहुत कुछ बा... कितना गिनाया जाए भाई...?