World Cancer Day 2019 : ये हैं महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होन के कारण, उसके लक्षण और उपचार
महिलाओं में अलग-अलग वजहों से कुछ कैंसर जैसे सर्वाइकल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और ओवरी कैंसर की पॉसिबिलिटीज ज्यादा होती है। अगर इनके कारणों और लक्षणों को जान-समझ लिया जाए और सही समय पर उपचार करवाया जाए तो जीवन की रक्षा की जा सकती है। जानिए, सर्वाइकल कैंसर कारण, लक्षण और उपचार के बारे में।

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डॉ. उमंग मित्तलCreated On: 3 Feb 2019 12:03 AM GMT
World Cancer Day 2019
आज दुनिया भर में मौजूद घातक या जानलेवा बीमारियों में कैंसर भी एक है। जिसमें शरीर की कोशिकाएं असामान्य रूप से विकसित होने लगती हैं, अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो यह ट्यूमर या कैंसर का रूप ले लेती हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कुछ खास तरह के कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। इसके पीछे सेहत के प्रति बरती जाने वाली लापरवाही और समुचित जानकारी का न होना है। इस वजह से कुछ महिलाएं अपनी जिंदगी भी गंवा देती हैं। ऐसी स्थिति किसी भी महिला के साथ न आए, इसके लिए उन्हें कैंसर के बारे में जानना जरूरी है।
सर्वाइकल कैंसर cervical cancer
21-50 साल की महिलाओं में खासकर 30 साल के बाद सबसे ज्यादा होने वाला सर्वाइकल कैंसर ही है। सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के इंफेक्शन के कारण होता है। इसके पीछे मल्टीपल ट्रॉमा यानी बार-बार प्रेगनेंट होना और अनचाहे गर्भपात का होना भी जिम्मेदार होता है। एचपीवी वायरस यूटेरस और वेजाइना को जोड़ने वाले हिस्से सर्विक्स यानी बच्चे दानी के मुंह या गर्भाशय ग्रीवा में पनपता है।
यह वायरस सर्विक्स के अंदरूनी (इंडोसर्विक्स) या बाहरी (एक्टोसर्विक्स) किसी भी भाग में असामान्य रूप से विकसित होने लगता है और गांठ का रूप ले लेता है। धीरे-धीरे कैंसर सेल्स गर्भाशय, पेल्विक एरिया, वेजाइना के निचले हिस्से तक फैल जाता है और यूरिन ट्यूब को भी ब्लॉक कर सकता है। आखिरी स्टेज में सर्वाइकल कैंसर ब्लैडर, लीवर और फेफड़ों तक भी फैल जाता है।
सर्वाइकल कैंसर के कारण :
यह वायरस इंटरकोर्स के दौरान हाइजीन का ध्यान न रखने या असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचता है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण :
शुरू में बदबूदार डिस्चार्ज होना, गंदा पानी आना, बाद में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना, पेट के निचले हिस्से और वेजाइना में दर्द होना।
सर्वाइकल कैंसर के उपचार :
पैप स्मीयर स्क्रीनिंग से सर्विक्स में कैंसर सेल्स की जांच की जाती है। कुछ सेल्स और तरल पदार्थ लेकर बायोप्सी की जाती है। शुरुआती 2 स्टेज में कैंसर की पुष्टि होने पर मरीज की स्थिति के हिसाब से छोटी सर्जरी की जाती है। इसमें यूटेरस के नीचे के हिस्से की असामान्य कोशिकाओं को लेजर सर्जरी से बर्न किया जाता है या फिर यूटेरस के आस-पास की लिंफ नोड्स को निकाल दिया जाता है।
कैंसर के बढ़ने पर रेडिएशन थेरेपी दी जाती है। शरीर के अंदर-बाहर रेडिएशन सिंकाई करके कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है। इससे 60-80 प्रतिशत मरीज ठीक हो सकते हैं। लेकिन जब यह शरीर के दूसरे अंगों को नुकसान पहुंचाने लगता है तो हिस्ट्रैक्टमी ऑपरेशन करके पूरे यूटेरस को निकाल दिया जाता है।
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम :
बचाव के लिए ह्यूमन पैपीलोमा (एचपीवी) वायरस वैक्सीन मुहैया कराई जाती है। यह वैक्सीन 9-14 साल की लड़कियों को 0.6 महीने में और 14-20 साल में 0-1-6 महीने पर लगाई जाती है। पैप स्मीयर स्क्रीनिंग टेस्ट से रूटीन चेकअप कराना चाहिए। 22-23 साल की उम्र में साल में एक बार, 30 साल के बाद हर 3 साल के अंतराल में, 40 साल के बाद 5 साल के अंतराल में 65 साल तक।
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