World Cancer Day 2019 : ये हैं ब्रेस्ट कैंसर के कारण, लक्षण और उपचार
यह महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। ब्रेस्ट की कोशिकाओं में शुरू होने वाला ट्यूमर या गांठ है, जो इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोंस में बढ़ोतरी के कारण होती हैं। गांठ धीरे-धीरे शरीर के अन्य कोशिकाओं और बाकी हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है। गांठ किसी भी उम्र में हो सकती है। आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा होते हैं।
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डॉ. उमंग मित्तलCreated On: 3 Feb 2019 12:03 AM GMT
World Cancer Day 2019
यह महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है। ब्रेस्ट की कोशिकाओं में शुरू होने वाला ट्यूमर या गांठ है, जो इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोंस में बढ़ोतरी के कारण होती हैं। गांठ धीरे-धीरे शरीर के अन्य कोशिकाओं और बाकी हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है। गांठ किसी भी उम्र में हो सकती है। आमतौर पर 40 साल की उम्र के बाद की महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले ज्यादा होते हैं।
अगर हम समय रहते ही अपने में कुछ बदलाव कर लें, और सावधानियां बरतें, तो ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को मात दे सकते हैं। इसलिए आज हम आपको विश्व कैंसर दिवस से पहले महिलाओं में होने वाले ब्रेस्ट कैंसर के कारण, लक्षण और उसके उपचार बता रहे हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण :
शुरू में ब्रेस्ट में असामान्य कोशिकाएं इकट्ठी होकर छोटी-सी गांठ के रूप में उभरती हैं, जो दर्द रहित भी हो सकती है। ब्रेस्ट की बनावट में परिवर्तन आ सकता है, जैसे-ब्रेस्ट की स्किन सख्त होना, सूजन की वजह से दोनों ब्रेस्ट छोटी-बड़ी लगना, निप्पल का अंदर की तरफ खिंचाव, लालिमा होना, सफेद रंग के द्रव का स्राव होना। कैंसर कोशिकाएं धीरे-धीरे बढ़ती हैं, जिससे गांठ का आकार भी बढ़ता रहता है।
ये कोशिकाएं लिंफेटिक सिस्टम के लिंफ नोड्स तक पहुंच जाती हैं, जिससे बगल या कॉलर बोन में भी गांठ बनने लगती हैं। गांठ बड़ी होकर ऊपरी स्किन तक आ जाती है। बगल की गांठें बढ़कर सिस्ट का रूप ले लेती हैं। आखिरी स्टेज में इंफेक्शन खून के साथ मिलकर हड्डियों, लीवर तक फैल जाता है। उपचार में सर्जरी करके ब्रेस्ट निकालना पड़ सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के कारण :
ऐसी महिलाएं जिनके 35 साल की उम्र के बाद या देर से बच्चे हुए हों या एक ही बच्चा हो। स्तनपान न कराना या कम कराना। जिन्हें बचपन में 8-10 साल में पीरियड्स आने शुरू हो जाते हैं और देर तक कम से कम 50 साल की उम्र तक होते रहते हैं यानी हार्मोन लेवल का चक्र लंबे समय तक चलता है।
अल्कोहल और स्मोकिंग की लत होना, मोटापा, अगर किसी महिला का वजन 18 साल की उम्र के वजन से 15-20 किलोग्राम ज्यादा हो, कैंसर की फैमिली हिस्ट्री होना, मेनोपॉज से बचने या किसी अन्य कारणों से हार्मोन सप्लीमेंट्स ले रही हों, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की संभावना ज्यादा होती है।
ब्रेस्ट कैंसर के उपचार :
मेमोग्राम, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई स्कैन जैसी इमेजिंग परीक्षण किए जाते हैं, जिससे ब्रेस्ट में गांठ की स्थिति और कैंसर कोशिकाओं की पुष्टि होती है। निप्पल से निकलने वाले द्रव की माइक्रोस्कोपिक जांच की जाती है। एफएनएसी नीडिल से गांठ का छोटा-सा टुकड़ा लेकर बायोप्सी की जाती है। ब्रेस्ट कैंसर अगर शुरुआती स्टेज में हो तो ब्रेस्ट को ज्यादा नुकसान न पहुंचा कर ब्रेस्ट में कट लगाकर गांठ निकाल दी जाती है।
ब्रेस्ट कैंसर की कोशिकाओं के फैलाव होने पर सिलेनियम मेडिसिन दी जाती है, कीमोथेरेपी, हार्मोन थेरेपी से इलाज किया जाता है। गांठ बढ़ कर जब बगल तक पहुंच जाती है तब कीमोथेरेपी के साथ रेडिएशन भी दिया जाता है। आखिरी स्टेज होने पर महिला के बचाव के लिए पूरी ब्रेस्ट निकालने के सिवाय कोई उपाय नहीं होता।
ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम :
20-22 साल की उम्र की लड़कियों को हर महीने पीरियड्स के 4-5 दिन बाद खुद ब्रेस्ट परीक्षण करना चाहिए। किसी भी तरह की गांठ महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर को कंसल्ट करना चाहिए। 38-40 साल की उम्र में साल में एक बार ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड, 40-45 साल की उम्र के बाद 2 साल में एक बार मेमोग्राम और 55 साल के बाद हर दो साल में जांच करानी चाहिए।
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