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वर्कआउट और स्ट्रेचिंग के फायदे : अगर शरीर में लानी है रबड़ सी Flexibility, तो जरूर करें ये छोटा सा काम

फिजिकली फिट रहने के लिए वर्कआउट करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही स्ट्रेचिंग करना भी बहुत फायदेमंद होता है। इसे कैसे करना चाहिए, इससे किस तरह के फायदे होते हैं, इस बारे में जानिए।

वर्कआउट और स्ट्रेचिंग के फायदे : अगर शरीर में लानी है रबड़ सी Flexibility, तो जरूर करें ये छोटा सा काम
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workout and Stretching Benefit

बहुत से लोग एक्सरसाइज (Exercise) की शुरुआत स्ट्रेचिंग (Stretching) से करते हैं। लेकिन इसका मतलब बस कमर झुकाओ और पैरों को छू लो, नहीं है। स्ट्रेचिंग वर्कआउट (Stretching Workout) से पहले केवल वार्म-अप करना भी नहीं है बल्कि यह अपने आपमें एक कंप्लीट एक्सरसाइज एक्सरसाइज (Exercise) है बशर्ते इसे व्यवस्थित तरीके से किया जाए। स्ट्रेचिंग (Stretching) से दिल और दिमाग रिलैक्स होता है और रोजमर्रा के तनावों को दूर करने में मदद मिलती है।

स्ट्रेचिंग के फायदे

बैलेंस फिटनेस प्रोग्राम में स्ट्रेचिंग (Stretching) अहम है। इससे चोट लगने का खतरा कम होता है, शरीर की मूवमेंट बढ़ जाती है, बॉडी रिलैक्स होती है, एक्सरसाइज परफॉर्मेंस बढ़ जाता है, पोस्चर बेहतर होता है और शरीर लचीला, तरोताजा और मजबूत होता है।

सभी के लिए फायदेमंद

स्ट्रेचिंग (Stretching) सभी के लिए अच्छी है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि आप एथलीट हैं या सारे दिन डेस्क पर बैठे रहते हैं या घर के काम-काज करते हैं। स्ट्रेचिंग के लाभ अनगिनत हैं।

फिटनेस प्रोग्राम में शामिल

स्ट्रेचिंग (Stretching) को बैलेंस फिटनेस प्रोग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। स्ट्रेचिंग (Stretching) के लाभों के बारे में निरंतर होने वाले शोधों से इसकी पुष्टि हो रही है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन ने संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए अपने दिशा निर्देशों में (Stretching) को भी शामिल किया है।

बढ़ती है फ्लेक्सिबिलिटी

स्पोर्टिंग गतिविधियों से अकड़ाहट बढ़ जाती है और लचीलापन कम हो जाता है। स्ट्रेचिंग न सिर्फ आपको लचीला बनाता है बल्कि सामान्य चोटों से भी बचाता है जैसे- फुटबॉल से जुड़ी कमर की समस्या, कंधे में सूजन आदि। दौड़ने या स्क्वैश के कारण होने वाले घुटनों के दर्द में भी यह कारगर है।
कमर के निचले हिस्से में दर्द का मुख्य कारण कम लचीलापन और हैमस्ट्रिंग्स होता है। ध्यान रखें कि जो मांसपेशी निरंतर सिकुड़ी हुई रहती है, उसे कम करने के लिए अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है। स्ट्रेचिंग से स्पाइन को भी आराम मिलता है, जिससे मस्कुलर प्रॉब्लम दूर होती है।

पोस्चर और स्ट्रेचिंग

पोस्चर की अधिकतर समस्याएं मांस-पेशियों में टाइटनेस के कारण खराब एलाइनमेंट की वजह से होती हैं। स्ट्रेचिंग (Stretching) से सॉफ्ट टिश्यू स्ट्रक्चर रिएलाइन हो जाते हैं और पोस्चर ठीक रहता है।

रखें ध्यान

-एक्सरसाइज के बाद भी स्ट्रेचिंग करें क्योंकि इससे वर्क्ड मसल्स को आराम मिलता है।
-स्ट्रेच आहिस्ता से करें, कभी क्षमता से अधिक जंपिंग न करें।
-सांस आहिस्ता, गहरी और प्राकृतिक रूप से लें।
-रिलैक्स रहें और स्ट्रेच को महसूस करें।
-हर स्ट्रेच 10 से 20 सेकंड का होना चाहिए।

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