TIPS: मोटापा कम करने के ये है आदिवासियों के अचूक नुस्खे
आदिवासियों के अनुसार ये गलत बात है कि आलू को मोटापा बढाने में मदद करने वाला कंद माना जाता है।

बाज़ार में बिकने वाले कैप्सूल, दवाएं और यंत्र जो अल्प अवधि में वजन और मोटापा कम करने का दावा करते हैं, इनसे दूर रहने की आवश्यकता है और अपनी दिनचर्या को नियंत्रित करके इन स्वदेशी हर्बल नुस्खों को अपनाकर मोटापे की समस्या से दूर रहा जा सकता है।
शारीरिक चपलता, मेहनत, आलस से दूर जीवनशैली और दिनचर्या व पोषक खान-पान की मदद से काफी हद तक इस समस्या से दूर रहा जा सकता है।
लटजीरा या अपामार्ग हमारे घरों, खेत- खलिहान के आसपास अक्सर देखा जा सकता है। खेत खलिहान या मैदानों से गुजरने पर अक्सर जीरे की तरह दिखने वाले बीज हमारे कपड़ों पर लग जाते हैं।
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पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार इसके बीजों को एकत्र करके मिट्टी के बर्तन में भून लिया जाए और प्रतिदिन आधा चम्मच का सेवन किया जाए, तो यह भूख को मार देता है और शारीरिक वसा को भी तोड़ने का काम करता है। इस फार्मूले को मोटापा कम करने के लिए आजमाया जा सकता है।
मध्यप्रदेश के कोरकू आदिवासियों के अनुसार यदि उबले आलूओं पर हल्का सा नमक छिड़क दिया जाए और उस व्यक्ति को दिया जाए, जो वजन कम करना चाहता है तो उसे फायदा होता है।
आदिवासियों के अनुसार ये गलत बात है कि आलू को मोटापा बढाने में मदद करने वाला कंद माना जाता है। वजन आलुओं की वजह से नहीं बढता, बल्कि आलू को तलने के लिए इस्तमाल में लाए जाने वाले तेल, घी आदि आलू को बदनाम कर जाते हैं।
कच्चे आलू या आलू जिन्हें तेल, घी आदि के बगैर पकाया जाए, खाद्य पदार्थ के तौर पर इस्तमाल किए जा सकते हैं और इनकी मदद से वजन भी कम किया जा सकता है, क्योंकि इनमें कैलोरी के नाम पर कुछ खास नहीं होता है।
दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के अनुसार ताजी पत्ता गोभी का रस भी वजन कम करने में काफी मदद करता है। इनके अनुसार प्रतिदिन रोज सुबह ताजी हरी पत्ता गोभी को पीसकर रस तैयार किया जाए और इसे पिया जाए।
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यह शरीर की चर्बी को गलाने में मदद करता है और रोचक बात यह भी है कि आधुनिक विज्ञान भी इस बात की पैरवी करता है कि कच्ची पत्ता गोभी शर्करा और अन्य कार्बोहाईड्रेड्स को वसा में बदलने से रोकती है और यह वजन कम करने मे सहायक है।
करीब एक किलो परवल के फल लेकर छोटे-छोटे टुकड़े कर लीजिए और 400 ग्राम कोकम के फल भी लें और दोनो को 4 लीटर पानी में डालकर तब तक उबालें।
जब तक कि ये एक चौथाई ना बचे..इसे छान लें और ठंडे स्थान पर रख दें। प्रतिदिन सुबह इस रस का 100 मिली खाली पेट सेवन करें, जूस खत्म हो जाने पर इसी विधि से पुन: बनाएं, सिर्फ़ एक महिने आजमाकर देखिए, फिर बात करिए आदिवासियों का हर्बल ज्ञान है।
डाँग- गुजरात के आदिवासी मानते है कि चावल का गर्म-गर्म पानी लगातार कुछ दिनों तक सेवन करने से मोटापा दूर होता है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि पके हुए चावल के गर्म पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर लेने से मोटापा कम करने में मदद मिलती है।
आदिवासी मानते है कि परवल के फलों का जूस तैयार कर लिया जाए और इसमें करीब 4 ग्राम सौंफ के दाने और चुटकी भर हींग का पिसा हुआ चूर्ण मिला लिया जाए और सेवन किया जाए तो मोटापा दूर होने लगता है।
डाँग गुजरात के आदिवासियों के अनुसार ज्यादा देर तक उबली चाय का सेवन किया जाए तो मोटापा कम होता है और वैज्ञानिक तथ्य भी यही कहते है कि चाय को ज्यादा देर तक उबाला जाए तो टैनिन रसायन निकल आता है और यह रसायन पेट की भीतरी दीवार पर जमा होकर भूख को मार देता है।
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हालांकि पातालकोट के आदिवासी चाय के साथ पोदीना की पत्तियों को उबालकर पीने की सलाह देते है जिससे मोटापा कम करने में मदद मिलती है। शहद एक कॉम्प्लेक्स शर्करा की तरह है जो मोटापा कम करने में काफी हद तक मदद करता है।
गर्म पानी में एक चम्मच शहद डालकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीने से कुछ ही समय में परिणाम दिखने लगते हैं, कुछ जगहों पर लोग इसी मिश्रण में एक चम्मच नींबू रस भी डाल देते है, दोनो फार्मूले हितकर हैं। कई लोग दिन भर सिर्फ नींबू पानी और शहद का मिश्रण पीकर उपवास भी करते हैं। माना जाता है कि ये एक कारगर देसी फार्मूला है।
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